जयपुर: राजस्थान में मानसून की दस्तक के साथ ही सरकार हरकत में आ गई है. बीते कुछ समय में जर्जर इमारतों के ढहने से हुए हादसों ने शासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है. खासतौर पर झालावाड़ और जैसलमेर में बच्चों की मौत के बाद सरकार सख्त कदम उठा रही है. अब राज्य के 2699 जर्जर भवनों को चिन्हित कर उन्हें सील करने और चरणबद्ध तरीके से गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
राज्यभर के नगरीय निकायों को मिले निर्देश
बीते गुरुवार को स्वायत्त शासन विभाग ने प्रदेश के सभी 224 नगरीय निकायों की वर्चुअल बैठक बुलाई, जिसमें विभागीय सचिव रवि जैन ने साफ निर्देश दिए कि जिन भवनों की स्थिति खतरनाक है, उन्हें तुरंत खाली करवाया जाए और सील कर नियमानुसार गिरा दिया जाए. उन्होंने सभी आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण करने, भवनों के बाहर चेतावनी बोर्ड लगाने और स्थानीय जनता को समय रहते सचेत करने के निर्देश दिए हैं.
बरसात से पहले हाई अलर्ट पर प्रशासन
मौसम विभाग द्वारा भारी बारिश की आशंका के मद्देनज़र प्रशासन अब सतर्क मोड पर आ गया है. रवि जैन ने अधिकारियों को साफ कहा कि भवनों की हालत की समीक्षा के साथ-साथ, विद्युत तंत्र की सुरक्षा को लेकर भी तत्काल कदम उठाए जाएं. उन्होंने निर्देश दिए कि बिजली के खंभों, केबल बॉक्स, और स्विच बॉक्स के पास लटकते तारों को हटाया जाए और जो ढक्कन टूटे हैं, उनकी मरम्मत की जाए. इसके अलावा, विद्युत डिस्कॉम से समन्वय बनाकर सड़क किनारे ढीले तारों की मरम्मत कराई जाए.
करंट और आग से बचाव की तैयारी
स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों से कहा है कि अग्निशमन वाहन, तकनीकी उपकरण और आपातकालीन स्टाफ को हर समय तैयार रखा जाए, ताकि किसी भी तरह की आकस्मिक घटना से समय रहते निपटा जा सके.
हरियालो राजस्थान अभियान पर भी नजर
बैठक में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चल रहे 'हरियालो राजस्थान' अभियान की भी समीक्षा की गई. अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में तय लक्ष्यों के अनुसार पौधारोपण करने और उसकी निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए. रवि जैन ने साफ किया कि सरकार की प्राथमिकता जनता की सुरक्षा है. जर्जर भवनों के गिराने और बारिश के दौरान विद्युत हादसों से बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. निकायों से अपेक्षा की गई है कि वे बिना देरी किए जमीनी स्तर पर कार्रवाई को प्राथमिकता दें.
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