इस्लामाबाद: पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब क्षेत्र में स्थित रहीम यार खान एयरबेस को फिर से संचालन में लाने की योजना को एक बार फिर से स्थगित कर दिया गया है. सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट डेमियन साइमन ने एक्स पर बताया है कि नूर खान एयरबेस का एकमात्र रनवे 15 अगस्त तक बंद रहेगा. यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के बाद हुई क्षति के कारण उठाया गया है.
सूत्रों के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत 10 मई को इस एयरबेस को निशाना बनाया गया था. इस हमले के बाद से ही एयरबेस पर विमान संचालन बाधित है. शुरुआत में इसके पुनरुद्धार की योजना जुलाई तक पूरी करने की थी, लेकिन काम की धीमी गति और भारी क्षति के कारण अब यह तिथि बढ़ा दी गई है.
सैटेलाइट इमेज से हुआ नुकसान का खुलासा
सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट डेमियन साइमन द्वारा साझा की गई तस्वीरोें में यह साफ देखा जा सकता है कि एयरबेस के रनवे, हैंगर और एप्रन जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. रनवे के बीचोंबीच लगभग 19 फीट चौड़ा गड्ढा दिखाई दे रहा है, जो विमानों की लैंडिंग और टेक-ऑफ को असंभव बना देता है. मलबा अब भी परिसर में बिखरा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मरम्मत कार्य अब तक अपेक्षित गति से नहीं हो पाया है.
पाकिस्तान की नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने इसके पहले NOTAM (Notice to Airmen) जारी करते हुए 5 अगस्त तक एयरबेस के बंद रहने की सूचना दी थी, जिसे अब 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है रहीम यार खान
रहीम यार खान एयरबेस को भले ही पाकिस्तान द्वारा आधिकारिक रूप से एक प्रमुख हवाई अड्डा घोषित नहीं किया गया है, लेकिन इसका रणनीतिक महत्व लंबे समय से रहा है. भारत-पाकिस्तान सीमा के पास होने के कारण यह एयरबेस संकट की घड़ी में पारंपरिक और आकस्मिक अभियानों के लिए एक सक्रिय सैन्य अड्डा बन जाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बेस का संचालन ठप हो जाना पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमताओं के लिए एक अस्थायी लेकिन प्रभावशाली झटका है. रनवे और संबंधित ढांचों की मरम्मत में हो रही देरी यह संकेत देती है कि हमला बेहद सटीक और विध्वंसक था.
7 से 10 मई तक चला था भारत-पाक संघर्ष
इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि 7 से 10 मई के बीच हुई भारत-पाकिस्तान की सैन्य मुठभेड़ है. यह संघर्ष कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद उत्पन्न हुआ था, जिसमें भारतीय जवानों की जान गई थी. इसके जवाब में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन सिंदूर" नामक एक अभियान की शुरुआत की थी.
इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया. इन हमलों में नौ प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें रहीम यार खान एयरबेस भी शामिल था.
भारत के मिसाइल हमले में रहीम यार खान बेस पर विशेष रूप से ब्रह्मोस मिसाइलों का प्रयोग किया गया. यह मिसाइल अपने उच्च गति, सटीकता और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है. हमले के परिणामस्वरूप, एयरबेस के कई ढांचे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे वहां का सामान्य संचालन अब तक बहाल नहीं हो पाया है.
नुकसान की गंभीरता और भविष्य की राह
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव जब-जब बढ़ता है, वह केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि दोनों देशों के रणनीतिक ढांचों को भी प्रभावित करता है. रहीम यार खान जैसे एयरबेस पर हमले से यह भी संकेत मिलता है कि आधुनिक युद्ध की परिभाषा अब पारंपरिक मोर्चों से आगे बढ़ चुकी है.
पाकिस्तान को अब इस बेस को पुनः पूरी तरह कार्यशील बनाने के लिए तकनीकी संसाधनों के साथ-साथ पर्याप्त समय और रणनीतिक योजना की आवश्यकता होगी. फिलहाल, एयरबेस के पुनर्निर्माण में अभी और सप्ताह या संभवतः महीने लग सकते हैं.
ये भी पढ़ें- 'हमारे ट्रेड पार्टनर पर दबाव को धमकी माना जाएगा...' ट्रंप की चेतावनी पर भारत के समर्थन में उतरा रूस