सर्बिया में हजारों लोगों ने सड़कें ब्लॉक कीं, राष्ट्रपति के इस्तीफे और तुरंत चुनावों के लिए प्रदर्शन

    सर्बिया में राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के इस्तीफे और तत्काल संसदीय चुनावों की मांग को लेकर देशभर में जन आंदोलन तेज हो गया है.

    Protests in Serbia demanding resignation of president
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    बेलग्रेड: सर्बिया में राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के इस्तीफे और तत्काल संसदीय चुनावों की मांग को लेकर देशभर में जन आंदोलन तेज हो गया है. बेलग्रेड, नोवी सैड और अन्य प्रमुख शहरों में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसके कारण परिवहन व्यवस्था बाधित रही.

    प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर सड़कों को बैरिकेड्स और कंटेनरों से बंद कर दिया. राजधानी में सावा नदी पर बने पुल को भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया, जिससे यातायात पूरी रात प्रभावित रहा. नोवी सैड में प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और प्रतीकात्मक रूप से अंडे फेंके.

    रेलवे स्टेशन हादसे से शुरू हुआ असंतोष

    सर्बिया में यह असंतोष 1 नवंबर 2024 को नोवी सैड रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के बाद उभरा, जिसमें 16 लोगों की जान चली गई थी. हादसे का कारण बताया गया—रेलवे स्टेशन के शेड का गिरना. इसके बाद सरकारी निर्माण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसने आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बना दिया.

    जनता का रोष इस बात पर है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री मिलोस वुसेविक और परिवहन मंत्री गोरन वेसिक ने इस्तीफा तो दिया, लेकिन जनता राष्ट्रपति से भी राजनीतिक जवाबदेही की मांग कर रही है.

    राष्ट्रपति वुसिक के खिलाफ बढ़ता जन असंतोष

    राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक 2017 से सत्ता में हैं और उनका कार्यकाल 2027 तक है. हालांकि, प्रदर्शनकारी देश में अग्रिम चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि उनके शासनकाल में प्रेस स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक संस्थानों और पारदर्शिता में गिरावट आई है.

    वुसिक की सर्बियन प्रोग्रेसिव पार्टी के पास वर्तमान में संसद में बहुमत है, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जनता का भरोसा अब डगमगाने लगा है. विशेष रूप से युवाओं और छात्रों का समर्थन इस आंदोलन को एक नई ऊर्जा दे रहा है.

    हर दिन 15 मिनट के लिए यातायात रोकते हैं

    इस विरोध की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि देशभर में छात्र प्रतिदिन 11:52 बजे, उस समय पर जब हादसा हुआ था, 15 मिनट के लिए गाड़ियों की आवाजाही रोकते हैं. यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक विरोध का रूप है, लेकिन इसकी निरंतरता से यह स्पष्ट है कि असंतोष गहरा है.

    सर्बिया की कई यूनिवर्सिटीज़ में छात्रों ने क्लासेज़ बहिष्कार किया है और सैकड़ों शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई प्रभावित हुई है.

    पुलिस कार्रवाई और मानवाधिकारों की चिंता

    हाल के प्रदर्शनों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष भी हुआ है. पुलिस ने आंसू गैस और साउंड बम का इस्तेमाल किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिनकी रिहाई की मांग अब नए सिरे से उठ रही है.

    राजनीतिक समाधान की जरूरत

    विश्लेषकों का मानना है कि अगर सरकार प्रदर्शनकारियों की बातों को अनसुना करती रही, तो यह आंदोलन और लंबा खिंच सकता है. सर्बिया जैसे लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि सरकार जन संवाद को प्राथमिकता दे और संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान खोजे.

    ये भी पढ़ें- क्या पहलगाम आतंकी हमले जैसी साजिश रच रहा है पाकिस्तान? मुनीर ने दिया संकेत! भारत के खिलाफ उगला जहर