बिहार में चुनाव से पहले प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू, मुकेश सहनी की ये डिमांड बढ़ा रही महागठबंधन की टेंशन

    बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है. एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही अपनी-अपनी बिसात बिछाने में जुटे हैं, लेकिन इस बार चुनावी समीकरणों में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का नाम भी बार-बार चर्चा में आ रहा है.

    Pressure politics started before elections in Bihar this demand of Mukesh Sahni increased the tension of INDIA alliance
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: ANI

    बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है. एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही अपनी-अपनी बिसात बिछाने में जुटे हैं, लेकिन इस बार चुनावी समीकरणों में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का नाम भी बार-बार चर्चा में आ रहा है. निषाद और मल्लाह समुदाय की राजनीति करने वाले सहनी ने इस बार सीधे डिप्टी सीएम पद पर दावा ठोक दिया है, जिससे इंडिया गठबंधन के भीतर हलचल मच गई है.

    मुकेश सहनी की प्रेशर पॉलिटिक्स

    राज्यभर में ‘सरकार बनाओ, अधिकार पाओ’ अभियान चला रहे मुकेश सहनी इन दिनों जनसभाओं और कार्यकर्ता बैठकों में व्यस्त हैं. मोतिहारी में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "अगर इंडिया को बिहार में सरकार बनानी है, तो मल्लाह के बेटे को साथ रखना ही होगा." उनके इस बयान को तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन में दवाब की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने हाल ही में डिप्टी सीएम पद के अलावा 60 सीटों की भी मांग रखी है. दूसरी ओर, आरजेडी और कांग्रेस पहले से ही सीटों के बंटवारे को लेकर असमंजस में हैं. कांग्रेस ने पहले ही दो डिप्टी सीएम की मांग कर रखी है, ऐसे में सहनी की नई मांग तेजस्वी यादव के लिए एक और सिरदर्द बन सकती है.

    महागठबंधन का सीटों वाला गणित

    बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं. बिहार में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है. दूसरे नम्बर पर कांग्रेस है. अभी विधानसभा में आरजेडी के 77 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के 19 विधायक हैं. इसके अलावा भाकपा और माकपा के पास 2-2 और माले के पास 11 विधायक हैं. 

    सूबे में आरजेडी मुख्य विपक्षी पार्टी है. ऐसे में जाहिर है कि आरजेडी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं कांग्रेस ने भी 70 सीटों की रट लगा रखी है. ऐसे में मुकेश सहनी की 60 सीटों वाली डिमांड ने भी महागठबंधन की टेंशन बढ़ा रखी है. हालांकि उनकी मांग को लेकर पेंच फंस सकता है, क्योंकि उनकी 60 सीटों की डिमांड पूरी हो पाना मुश्किल लग रहा है. अगर मुकेश सहनी की सीटों को लेकर बात नहीं बनती है तो वे एनडीए का रुख भी कर सकते हैं. हालांकि उन्हें एनडीए में भी 60 सीटें मिल पाना मुश्किल है. 

    बिहार में मुकेश सहनी कितने प्रभावी?

    बता दें कि बिहार में निषाद और मल्लाह समुदाय की कुल 17 उपजातियां हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 6 प्रतिशत है. ये जातियां खास तौर पर उत्तर बिहार में प्रभावशाली मानी जाती हैं. ऐसे में इस वोट बैंक की अहमियत को सभी दल बखूबी समझते हैं. यही कारण है कि भाजपा भी सहनी से दोबारा हाथ मिलाने की कोशिश में लग गई है, जबकि वह औपचारिक रूप से इंडिया गठबंधन में शामिल हो चुके हैं.

    मंत्री बनाया फिर भी NDA का साथ छोड़ा

    दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव के समय मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ थे, लेकिन टिकट बंटवारे के समय बैठक छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए. NDA ने उन्हें 11 सीटें दी थीं. उनके चार विधायक बने थे. बाद में ये सभी विधायक भाजपा में चले गए. मुकेश सहनी खुद चुनाव हार गए थे, जिसके बाद उन्हें विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाया गया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे महागठबंधन में चले गए.

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