Bihar Politics: बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेने को तैयार है. इस बार केंद्र में हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा, जो जन सुराज के सक्रिय चेहरे रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, आनंद मिश्रा जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो यह न सिर्फ जन सुराज पार्टी के लिए, बल्कि प्रशांत किशोर की रणनीतिक जमीन के लिए भी एक बड़ा झटका माना जाएगा.
IPS अफसर की राजनीति में एंट्री
आनंद मिश्रा जब प्रशासनिक सेवा छोड़कर राजनीति में उतरे थे, तो उन्हें लेकर काफी उम्मीदें जताई जा रही थीं. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आज़माई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद वे प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जन सुराज से जुड़े और पार्टी के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष बने. कुछ समय तक वे प्रशांत किशोर के साथ क्षेत्रीय यात्राओं और जनसंवाद कार्यक्रमों में भी सक्रिय नजर आए. लेकिन पिछले कुछ महीनों से उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली है.
बीजेपी से है पुराना लगाव
हाल ही में एक यूट्यूब इंटरव्यू में आनंद मिश्रा ने भाजपा की खुलकर तारीफ की थी. उन्होंने कहा, "मैं बीजेपी के लिए ही नौकरी छोड़कर आया था, पर मुझे नहीं पता कि मुझे क्यों नहीं अपनाया गया." इस बयान के बाद अटकलें और तेज हो गई हैं कि शायद अब वह भाजपा में वापसी की राह पर हैं. ऐसे राजनीतिक संकेतों को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि पार्टी के साथ उनकी बातचीत अंतिम दौर में है.
बक्सर सीट पर नजर
बिहार की राजनीति के जानकार मानते हैं कि यदि आनंद मिश्रा भाजपा में शामिल होते हैं, तो उन्हें बक्सर लोकसभा क्षेत्र या इसके अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में से किसी एक से टिकट मिल सकता है. जन सुराज से उनका इस्तीफा भी चर्चा में है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
प्रशांत किशोर के लिए झटका क्यों?
जन सुराज को बिहार में एक वैकल्पिक राजनीतिक धारा के रूप में देखा जा रहा था. आनंद मिश्रा जैसे पूर्व अधिकारी और सामाजिक रूप से सक्रिय व्यक्ति का इसमें होना पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश था कि पार्टी सिर्फ विचारधारा नहीं, गुणवत्ता भी लेकर आई है. ऐसे में उनका जाना, जन सुराज की संघटनात्मक धार और विश्वसनीयता पर असर डाल सकता है.
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