तमिलनाडु के पोल्लाची शहर की वो दोपहर अब भी लोगों की यादों में ताजा है, जब एक कॉलेज छात्रा ने साहस दिखाते हुए अपना दर्द दुनिया के सामने रखा. 2019 में शुरू हुई ये कानूनी जंग अब जाकर अपने अंजाम तक पहुंची है. 6 साल की लंबी जांच, संघर्ष और अदालती कार्यवाही के बाद आखिरकार 13 मई 2025 को न्याय की जीत हुई.
कोयंबटूर की विशेष महिला अदालत ने इस भयावह यौन उत्पीड़न कांड में शामिल 9 आरोपियों को मौत तक उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही 8 पीड़ित महिलाओं को 85 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया है.
जिनका नाम इंसाफ की किताब में दर्ज हुआ, लेकिन काली स्याही से
जिन 9 दोषियों को सजा सुनाई गई, वे सभी 30 से 39 वर्ष की उम्र के हैं और अब पूरी जिंदगी सलाखों के पीछे बिताएंगे. इनके नाम हैं:
इन सभी को सलेम सेंट्रल जेल से भारी सुरक्षा में अदालत लाया गया था. अदालत ने इन्हें IPC की धाराओं 376D, 376(2)(N) सहित कुल 13 धाराओं के तहत दोषी पाया.
कैसे सामने आया यह रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला?
फरवरी 2019 में 19 साल की एक कॉलेज छात्रा ने अपने साथ हुए अत्याचार की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई. उसने बताया कि कुछ लड़कों ने सोशल मीडिया के जरिए उससे दोस्ती की और फिर घूमने के बहाने एक कार में ले जाकर गैंगरेप की कोशिश की. इस दौरान उसका वीडियो भी बना लिया गया. बाद में वीडियो के ज़रिए उसे ब्लैकमेल करके कई बार शारीरिक शोषण किया गया. इस एक शिकायत ने एक संगठित अपराध के चक्रव्यूह से पर्दा उठाया, जिसमें सिर्फ एक नहीं, बल्कि 100 से अधिक लड़कियां फंसाई गई थीं.
सोशल मीडिया बना शिकार चुनने का हथियार
गिरोह के सदस्य फेसबुक और इंस्टाग्राम पर नकली महिला प्रोफाइल बनाकर लड़कियों से दोस्ती करते. फिर उन्हें मिलने के बहाने कार या सुनसान जगह बुलाते. वहीं पर उनका यौन शोषण कर वीडियो रिकॉर्ड कर लेते और फिर ब्लैकमेल कर बार-बार दुष्कर्म करते. इस पूरे गिरोह की गतिविधियां 2016 से 2018 तक सक्रिय रहीं, और कॉलेज छात्राओं से लेकर विवाहित महिलाएं तक इसका शिकार बनीं.
जांच से लेकर अदालत तक की लंबी लड़ाई
शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और फिर CID ने की, लेकिन भारी जनदबाव और सियासी आरोपों के बीच यह केस CBI को सौंप दिया गया. CBI ने 1500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 400 से अधिक डिजिटल सबूत, 200 दस्तावेज और 48 गवाह शामिल थे. कोयंबटूर की महिला अदालत में गवाही देने वाले 8 पीड़ितों में से एक ने भी अपना बयान नहीं बदला, जो इस केस की मजबूती का सबसे बड़ा आधार बना.
न्यायपालिका का निर्णायक संदेश: “देर हो सकती है, अंधेर नहीं”
जज आर. नंदिनी देवी ने सभी दोषियों को 1 से 5 बार तक उम्रकैद की सजा सुनाई. यह सजा एक स्पष्ट संदेश है कि संगठित यौन अपराधों में शामिल किसी को भी रियायत नहीं मिलेगी. साथ ही, सभी दोषियों पर कुल 1.5 लाख का जुर्माना और 8 पीड़ितों को 85 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया गया.
सियासत भी गरमाई, लेकिन इंसाफ पर सब सहमत
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने फैसले को ‘देर से आया लेकिन सही न्याय’ बताया, वहीं विपक्ष के नेता ई. पलानीस्वामी ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा CBI जांच की सिफारिश ने यह परिणाम सुनिश्चित किया.
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