आंध्र प्रदेश पुलिस ने अल्पसंख्यक युवकों को रोड़ पर बैठा कर पिटा, जगन मोहन रेड्डी ने शेयर किया वीडियो

    आंध्र प्रदेश में पुलिस अनियंत्रित शक्ति का प्रयोग कर भारतीय संविधान का खुलेआम उल्लंघन कर रही है.

    Andhra Pradesh police beat up minority youths while making them sit on the road
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    आंध्र प्रदेश में पुलिस अनियंत्रित शक्ति का प्रयोग कर भारतीय संविधान का खुलेआम उल्लंघन कर रही है. कानून के शासन को बनाए रखने के बजाय, राज्य को एक कठोर "लाल किताब संविधान" के तहत चलाया जा रहा है जो हर नागरिक को दिए गए अधिकारों और सुरक्षा की अवहेलना करता है - विशेष रूप से दलितों, पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों को.

    तेनाली में दलित और अल्पसंख्यक युवकों- चेब्रोलू जॉन विक्टर, डोमा राकेश और ऐथा नगर के शेख बाबूलाल- पर पुलिस अधिकारियों ने दिनदहाड़े क्रूरतापूर्वक हमला किया. उन्हें सड़क पर बैठने के लिए मजबूर किया गया और बार-बार उनके पैरों पर लाठियों से प्रहार किया गया. एक सर्किल इंस्पेक्टर को उन्हें नीचे रखने के लिए उनके पैरों पर पैर रखते हुए देखा गया, जबकि दूसरा अधिकारी उन्हें पीट रहा था. अन्य पुलिसकर्मी खड़े होकर मारपीट का वीडियो बना रहे थे, हंस रहे थे और जब पुरानी लाठियां टूट गईं तो उन्हें नई लाठियां थमा रहे थे.

    यह घटना एक महीने तक छिपी रही

    यह चौंकाने वाली घटना करीब एक महीने तक छिपी रही, क्योंकि स्थानीय लोग इसके बारे में बोलने से डरते थे. यह घटना तभी सामने आई जब एक वीडियो वायरल हुआ - जिसने इस शासन के तहत भय के माहौल को उजागर किया.

    पुलिस थर्ड-डिग्री टॉर्चर का इस्तेमाल कर रही है, बिना उचित प्रक्रिया के अवैध गिरफ़्तारियाँ कर रही है और लोकतंत्र की नींव का बेशर्मी से मज़ाक उड़ा रही है. दंड से मुक्ति की यह बढ़ती संस्कृति कानून प्रवर्तन में जनता के भरोसे को खत्म कर रही है और संविधान को महज़ कागज़ तक सीमित कर रही है.

    संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला

    यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला है. पुलिस का काम अदालत में सबूत पेश करना है - जज और जल्लाद की भूमिका निभाना नहीं. लोकतंत्र में सार्वजनिक पिटाई का कोई स्थान नहीं है.