PM Modi Tribute To Mohan Bhagwat: 11 सितंबर का दिन इतिहास के पन्नों में कई मायनों में दर्ज है, एक ओर 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व बंधुत्व का उद्घोष किया था, वहीं दूसरी ओर इसी दिन 2001 में 9/11 जैसा आतंकी हमला मानवता को झकझोर गया. लेकिन इस तारीख की एक और खासियत है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का जन्मदिन.
आज जब मोहन भागवत 75 वर्ष के हो गए हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए एक भावनात्मक और विचारपूर्ण लेख लिखा है. इस लेख में उन्होंने भागवत जी को "एक ऐसा असाधारण व्यक्तित्व" बताया है जिन्होंने राष्ट्र और समाज के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया.
“मोहन भागवत जी ने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र से प्रेरित होकर समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।”
— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2025
मां भारती की सेवा में सदैव तत्पर मोहन जी के 75वें जन्मदिन के विशेष अवसर पर मैंने उनके प्रेरक व्यक्तित्व को लेकर अपनी भावनाएं रखी हैं। मैं…
वसुधैव कुटुंबकम की भावना के संवाहक
प्रधानमंत्री मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मोहन भागवत जी ने वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत से प्रेरित होकर सामाजिक समरसता, बंधुत्व और राष्ट्रनिर्माण के लिए खुद को खपा दिया है.”
उनके अनुसार, भागवत जी न सिर्फ एक संगठन के प्रमुख हैं, बल्कि संघ की वैचारिक जड़ों को आधुनिकता और परिवर्तनशीलता के साथ जोड़ने वाले एक सजग मार्गदर्शक भी हैं.
एक पीढ़ी का योगदान, पिता से पुत्र तक राष्ट्र सेवा
पीएम मोदी ने भागवत जी के पिता स्वर्गीय मधुकरराव भागवत से अपने पुराने संबंध को याद करते हुए कहा कि उन्होंने गुजरात में संघ कार्य की नींव रखी. मधुकरराव ने अपने पुत्र मोहनराव को उसी आदर्श और तपस्या की राह पर चलाया.
प्रधानमंत्री ने लिखा, “एक पारसमणि मधुकरराव ने मोहनराव के रूप में एक और पारसमणि तैयार कर दी.”
संघ के कठिन दौर में मोहन भागवत की भूमिका
आपातकाल के दौर में जब संघ पर प्रतिबंध लगा, तब एक युवा प्रचारक के रूप में मोहन भागवत ने अखिल भारतीय स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम किया.
वो महाराष्ट्र और बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सक्रिय रहे और संघ की शाखाओं को जीवित रखा. 1990 के दशक में वे संघ के अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख बने और फिर 2000 में सरकार्यवाह और 2009 में सरसंघचालक की भूमिका में आए.
नवाचार और समरसता के अग्रदूत
प्रधानमंत्री मोदी ने भागवत जी के नेतृत्व को परिवर्तनशील और भविष्यदृष्टि वाला बताया. उनके कार्यकाल में संघ के परंपरागत स्वरूप में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, जैसे संघ का गणवेश बदला गया, शिक्षा वर्गों की प्रणाली में सुधार हुआ और डिजिटल माध्यमों का अधिकतम उपयोग किया गया.
कोरोना काल में दिखा उनका संवेदनशील नेतृत्व
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान भागवत जी की संवेदनशील और रणनीतिक नेतृत्व शैली की सराहना की. उन्होंने स्वयंसेवकों को सुरक्षा के साथ सेवा देने की प्रेरणा दी, और पूरे देश में हजारों मेडिकल कैंप और सहायता केंद्र लगाए गए.
एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सजग प्रहरी
बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक भारत के पक्षधर मोहन भागवत संगीत, वाद्ययंत्रों और अध्ययन-पठन में गहरी रुचि रखते हैं. पीएम मोदी ने लिखा कि उनके सार्वजनिक संवादों में ज्ञान, गंभीरता और गरिमा साफ झलकती है.
"पंच परिवर्तन" के सूत्रधार
मोहन भागवत ने संघ के सामाजिक दायरे को बढ़ाते हुए ‘पंच परिवर्तन’ का मंत्र दिया:
इन सिद्धांतों के जरिए उन्होंने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की स्पष्ट दिशा दिखाई है.
मोहन भागवत- विचार, विनम्रता और नेतृत्व का संगम
प्रधानमंत्री ने लेख के अंत में लिखा, “संघ का हर स्वयंसेवक वैभवशाली भारत माता का सपना देखता है. इस सपने को दिशा देने के लिए जो नेतृत्व चाहिए, वो मोहन जी जैसे व्यक्तित्व में पूर्ण रूप से विद्यमान है.”
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