PM Modi Visit In Ghana: भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताएं अब दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ रही हैं. ऑपरेशन सिंदूर जैसी सफल सैन्य कार्रवाइयों और स्वदेशी रक्षा तकनीक के प्रभावी प्रदर्शन के बाद भारत के रक्षा उपकरणों की वैश्विक मांग तेजी से बढ़ी है. अब घाना ने भी भारत से हथियार खरीदने और रक्षा सहयोग को मजबूत करने की स्पष्ट इच्छा जताई है, जो भारत के रक्षा निर्यात की बढ़ती साख का बड़ा उदाहरण है.
घाना क्यों चाहता है भारत के रक्षा उपकरण?
अकरा में हुई भारत-घाना वार्ता के दौरान घाना ने उत्तरी और साहेल क्षेत्रों में आतंकवाद और समुद्री लूटपाट जैसी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत से रक्षा सहायता मांगी. भारत के विदेश मंत्रालय में आर्थिक संबंध विभाग के सचिव डम्मू रवि ने जानकारी दी कि घाना ने भारत से न केवल रक्षा उपकरण, बल्कि सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण और उन्नत रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति में भी रुचि दिखाई है. डम्मू रवि ने कहा कि घाना के लिए आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा बड़े मुद्दे हैं. उन्होंने भारत से सहयोग की गुजारिश की है और भारत इस दिशा में हरसंभव समर्थन देने को तैयार है. अब भारत एक अग्रणी रक्षा निर्यातक देश बन चुका है.
4 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घाना यात्रा के दौरान दोनों देशों ने चार अहम समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए. इन समझौतों का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को केवल रक्षा तक सीमित नहीं रखना, बल्कि संस्कृति, स्वास्थ्य, मानकीकरण और संस्थागत संवाद जैसे क्षेत्रों में भी गहराई से सहयोग करना है. ये समझौते भारत-घाना रिश्तों को एक बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम माने जा रहे हैं.
आतंकवाद पर साझा चिंता और एकजुटता
घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने भारत के खिलाफ आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में स्पष्ट समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद अब सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं, बल्कि यह वैश्विक संकट है. उन्होंने कहा "भारत के निर्दोष नागरिकों की हत्या हम सभी के लिए एक चेतावनी है. घाना, भारत के साथ आतंक के खिलाफ खड़ा है."
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