पिनाका, आकाश, होवित्जर... खतरनाक मिसाइलों-हथियारों से आर्मेनिया की झोली भर रहा भारत, पाकिस्तान का कनेक्शन?

    एशिया और यूरोप के बीच स्थित दक्षिण काकेशस क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच भारत ने आर्मेनिया के साथ अपने रक्षा संबंधों को तेजी से मजबूत किया है.

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    भारत-आर्मेनिया संबंध

    एशिया और यूरोप के बीच स्थित दक्षिण काकेशस क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच भारत ने आर्मेनिया के साथ अपने रक्षा संबंधों को तेजी से मजबूत किया है. जहां एक ओर अजरबैजान, तुर्की और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक गठबंधन आकार ले रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत ने संतुलन साधने की दिशा में आर्मेनिया को हथियारों की आपूर्ति बढ़ाकर एक अहम रणनीतिक संकेत दिया है.

    जल्द ही दूसरी खेप की डिलीवरी भी प्रस्तावित

    भारत और आर्मेनिया के बीच सैन्य सहयोग ने तेजी पकड़ी है, खासतौर पर 2020 के बाद, जब नागोर्नो-कराबाख संघर्ष के दौरान आर्मेनिया को अपने पारंपरिक सहयोगी रूस से निराशा हाथ लगी थी. रूस के 'तटस्थ' रुख ने आर्मेनिया को वैकल्पिक साझेदारों की तलाश में भारत की ओर देखने को मजबूर किया. इसके बाद से दिल्ली और येरेवन के बीच रक्षा संबंधों ने ठोस आकार लेना शुरू किया.

    भारत से आर्मेनिया को अब तक आकाश-1एस मिसाइल प्रणाली, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम और एडवांस्ड हॉवित्जर गन जैसे हथियारों की आपूर्ति की गई है. रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2022 में हुई रक्षा डील के तहत भारत द्वारा मिसाइलों की पहली खेप पिछले साल नवंबर में भेजी जा चुकी है, और जल्द ही दूसरी खेप की डिलीवरी भी प्रस्तावित है.

    सुरक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि भारत की यह नीति केवल सैन्य निर्यात बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पश्चिम एशिया और मध्य एशिया में भारत के हितों की रक्षा करना भी है. दिल्ली स्थित इंडिक रिसर्चर्स फोरम के रक्षा विशेषज्ञ राजन कोचर का कहना है कि अजरबैजान और तुर्की के साथ भारत के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं, और ऐसे में आर्मेनिया को हथियारों की आपूर्ति किसी कूटनीतिक जोखिम के अंतर्गत नहीं आती.

    भारत और रूस के बीच परंपरागत सहयोग मजबूत

    तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान के साथ गहरे रक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया है और कश्मीर मुद्दे पर भारत का खुलकर विरोध भी किया है. हालिया भारत-पाक तनाव के दौरान इन दोनों देशों ने इस्लामाबाद का पक्ष लेते हुए भारत की आलोचना की थी. इन परिस्थितियों में आर्मेनिया को सैन्य सहयोग देना भारत के लिए एक 'रणनीतिक उत्तर' के रूप में देखा जा रहा है.

    लंदन स्थित राजनीतिक विश्लेषक क्रिस ब्लैकबर्न के अनुसार, भारत की ओर से आर्मेनिया को हथियारों की आपूर्ति तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के पाकिस्तान समर्थक रुख और भारतविरोधी बयानों का प्रत्यक्ष जवाब है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूस, जो कभी आर्मेनिया का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है, भारत के इस कदम से नाराज़ होने की संभावना नहीं रखता, क्योंकि भारत और रूस के बीच परंपरागत सहयोग मजबूत बना हुआ है.

    इस बीच, भारत में तुर्की और अजरबैजान के उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम भी देखी गई है. नागरिकों और व्यापारियों द्वारा इन दोनों देशों की यात्रा योजनाओं को रद्द करने की खबरें आई हैं. हाल ही में भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी 'सेलेबी' को भारतीय हवाई अड्डों से बाहर कर दिया, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को और रेखांकित करता है.

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