हवा में उड़ते-उड़ते भर जाएगा टैंक! जानिए कौन-सी कंपनियां देती हैं 'एयरबॉर्न पेट्रोल पंप' की सुविधा

    भारतीय वायुसेना भी अब इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है. वह ऐसी कंपनियों की तलाश कर रही है जो हवा में ही उसके लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने की सुविधा दे सके.

    petrol pumps in sky which companies Indian Air Force
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: AI Image

    नई दिल्लीः आपने शायद फिल्मों में देखा होगा कि एक फाइटर जेट हवा में ही बिना ज़मीन पर उतरे अपना ईंधन भर लेता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तकनीक सिर्फ किसी एक देश की नहीं, बल्कि अब एक ग्लोबल इंडस्ट्री बन चुकी है?

    भारतीय वायुसेना भी अब इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है. वह ऐसी कंपनियों की तलाश कर रही है जो हवा में ही उसके लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने की सुविधा दे सके. इसके लिए जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेंडर जारी किया जाएगा ताकि दुनिया की बेहतरीन कंपनियां इसमें भाग ले सकें. अब सवाल है—ऐसी कंपनियां हैं कौन-कौन सी?

    हवा में ईंधन भरना: तकनीक और ज़रूरत

    पहले ज़रा समझ लेते हैं कि हवा में ईंधन भरने की तकनीक काम कैसे करती है. इस प्रक्रिया में एक विमान (जिसे "टैंकर" कहा जाता है) उड़ते-उड़ते ही दूसरे विमान (जिसे "रिसीवर" कहा जाता है) को ईंधन देता है. 

    इसके दो मुख्य तरीके होते हैं:

    प्रोब-एंड-ड्रोग सिस्टम – इसमें ईंधन देने वाला विमान एक लचीली पाइप (hose) के जरिए, ड्रोग के ज़रिए रिसीवर विमान से जुड़ता है.

    बूम सिस्टम – इसमें एक कठोर पाइप का उपयोग होता है जिसे ऑपरेटर नियंत्रण करता है.

    यह तकनीक खासतौर पर सैन्य अभियानों में बेहद फायदेमंद होती है. इससे लड़ाकू विमान ज़्यादा देर तक हवा में रह सकते हैं, लंबी दूरी तय कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत मोर्चे पर पहुँच सकते हैं.

    लगातार बढ़ रहा है इस बाज़ार का आकार

    हवा में ईंधन भरने की यह सेवा अब एक बड़ा और तेज़ी से बढ़ता हुआ बाज़ार बन गया है. साल 2020 में इसकी वैल्यू करीब 50 करोड़ डॉलर थी, और अनुमान है कि 2025 तक यह 1 अरब डॉलर को पार कर जाएगी. इस बीच हर साल करीब 11% की ग्रोथ दर्ज की जा रही है. इसकी प्रमुख वजह है दुनियाभर की सेनाओं में बढ़ती सामरिक तैयारियाँ, और लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाले विमानों की बढ़ती ज़रूरत.

    इन कंपनियों ने बना लिया है आसमान में 'पेट्रोल पंप'

    अब आइए जानते हैं उन कंपनियों के बारे में जो इस क्षेत्र में शीर्ष पर हैं:

    1. Cobham plc (यूके)

    यह ब्रिटेन की दिग्गज कंपनी हवा में ईंधन भरने की तकनीक में सबसे अग्रणी है. Cobham ने मई 2020 में Tods Aerospace की एक प्रमुख सुविधा का अधिग्रहण किया था, ताकि एयरोस्पेस और डिफेंस क्षेत्र में अपनी स्थिति और मजबूत की जा सके.

    2. Eaton Corporation (यूएसए)

    अमेरिका की यह कंपनी इस क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी खिलाड़ी है. Eaton ने फरवरी 2021 में Cobham Mission Systems का अधिग्रहण किया, जिससे इसके पास हवा में ईंधन भरने के साथ-साथ अन्य रक्षा प्रणालियों की मजबूत तकनीक आ गई.

    3. Airbus (नीदरलैंड्स)

    Airbus इस क्षेत्र में लगातार तकनीकी इनोवेशन पर ज़ोर दे रही है. अप्रैल 2020 में इसने A3R (ऑटोमैटिक एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग) का सफल परीक्षण किया, जिसमें अटलांटिक महासागर के ऊपर एक Airbus टैंकर ने पुर्तगाल की वायुसेना के F-16 लड़ाकू विमान में हवा में ईंधन भरा.

    आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम

    भारतीय वायुसेना का यह कदम रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. भविष्य में यह क्षमता देश को न केवल तेज़ प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाएगी, बल्कि सैन्य अभियानों में लंबी दूरी तक ताकत दिखाने में भी मदद करेगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि जब वायुसेना बोली प्रक्रिया शुरू करेगी, तो दुनिया की कौन-कौन सी कंपनियाँ इसमें भाग लेंगी और भारत के आसमान को ‘एयरबॉर्न ईंधन सुविधा’ से लैस करने की दौड़ में आगे निकलेंगी.

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