यूपी की 'रहस्यमयी' नदी, जिसके पानी को छूने भर से खौफ खाते हैं लोग, वजह जान रह जाएंगे दंग

    भारत में नदियों को एक दिव्य स्थान प्राप्त है और इन्हें अक्सर भगवान के समान दर्जा दिया गया है. हर नदी का अपना महत्व और धार्मिक मान्यता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की कर्मनाशा नदी की कथा कुछ अलग ही है.

    People are afraid to touch the water of Karmanasa river
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    Karamanasa River: भारत में नदियों को एक दिव्य स्थान प्राप्त है और इन्हें अक्सर भगवान के समान दर्जा दिया गया है. हर नदी का अपना महत्व और धार्मिक मान्यता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की कर्मनाशा नदी की कथा कुछ अलग ही है. इस नदी को लेकर लोगों के मन में अजीब सा भय और विश्वास है कि इसका पानी छूने से कोई भी अच्छा काम नहीं हो सकता. आइए जानते हैं, आखिर क्यों इस नदी के बारे में ऐसी मान्यता है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है.

    ‘कर्मनाशा’ शब्द दो भागों से बना है - 'कर्म' और 'नाश'. यह मान्यता है कि इस नदी का पानी छूने से किसी भी व्यक्ति के सारे अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं और उसकी जीवन यात्रा में बाधाएं आती हैं. इसके पानी का उपयोग न केवल पीने के लिए मना किया जाता है, बल्कि खाना बनाने में भी इसका प्रयोग नहीं किया जाता. यह अनहोनी का प्रतीक मानी जाती है.

    कर्मनाशा नदी की भौगोलिक स्थिति

    कर्मनाशा नदी बिहार के कैमूर जिले से उत्पन्न होती है और फिर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है. यह नदी उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच एक प्राकृतिक सीमा बनाती है. इसके किनारे उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले जैसे सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर हैं. अंततः यह नदी बक्सर के पास गंगा नदी में मिल जाती है.

    पौराणिक कथा: सत्यव्रत और कर्मनाशा का शाप

    कर्मनाशा नदी से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जो राजा हरिश्चंद्र के पिता सत्यव्रत से संबंधित है. जब सत्यव्रत ने स्वर्ग जाने की इच्छा व्यक्त की, तो गुरु वशिष्ठ ने मना कर दिया. इसके बाद विश्वामित्र ने उन्हें शापित कर दिया और सत्यव्रत का शरीर और आत्मा स्वर्ग के बीच फंसी हुई स्थिति में अटक गए, जिसे त्रिशंकु कहा गया. इस समय सत्यव्रत से जो लार टपकी, वही लार धरती पर आकर एक नदी के रूप में बहने लगी, जिसे कर्मनाशा कहा गया. इस नदी को ऋषि वशिष्ठ द्वारा शापित किया गया था, और आज भी लोग इसे अशुभ मानते हैं.

    आज भी कायम है विश्वास

    आज भी उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग कर्मनाशा नदी से दूर रहते हैं. यह विश्वास है कि इस नदी से जुड़ी पौराणिक घटनाएँ किसी के लिए भी शुभ नहीं हो सकतीं. लोग इसे एक शापित नदी मानते हैं और इसके पानी से किसी भी तरह का संपर्क करने से बचते हैं.

    यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. भारत 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.