'जम्मू को राज्य और कश्मीर को यून‍ियन टेरेटरी बनाया जाएगा', पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने किया बड़ा दावा

    भारत के संवेदनशील केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों और मीडिया का ध्यान खींचने की कोशिश की है.

    Pakistani Foreign Minister made a big claim on Jammu and Kashmir
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    इस्लामाबाद: भारत के संवेदनशील केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों और मीडिया का ध्यान खींचने की कोशिश की है. पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान एक अहम दावा किया है कि भारत सरकार जम्मू को राज्य का दर्जा देने की योजना पर काम कर रही है, जबकि कश्मीर को अभी भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में ही रखा जाएगा.

    डार का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने की छठी वर्षगांठ (5 अगस्त, 2019) हाल ही में गुज़री है. इस दिन को पाकिस्तान "याद-ए-सियाह" यानी "काला दिन" के रूप में मनाता है, और अक्सर इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भारत की नीति पर सवाल उठाने का प्रयास करता है.

    क्या कह रहे हैं डार?

    इस्लामाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डार ने दावा किया कि भारत सरकार जम्मू और कश्मीर को 'स्थायी रूप से विभाजित' करने की दिशा में बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि जम्मू को अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है, और इसका औपचारिक ऐलान जल्द ही किया जा सकता है. डार ने आरोप लगाया कि इस तरह का कदम जम्मू और कश्मीर को धार्मिक आधार पर विभाजित करने की एक चालाक साजिश हो सकती है.

    डार ने यह भी कहा कि पाकिस्तान, कश्मीर को एक 'अंतरराष्ट्रीय विवादित क्षेत्र' मानता है, और भारत को एकतरफा बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान, कश्मीरी लोगों के "राजनयिक समर्थन" के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.

    भारत की नीति: संवैधानिक प्रक्रिया और विकास

    भारत सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद से केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास, सुरक्षा और प्रशासनिक सुशासन की दिशा में कई कदम उठा चुकी है.

    5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था. इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया. इसके बाद से राज्य का दर्जा वापस देने की मांग समय-समय पर उठती रही है.

    भारत के सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर एक याचिका भी विचाराधीन है जिसमें जम्मू-कश्मीर को पुनः पूर्ण राज्य बनाने की मांग की गई है. साथ ही, केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के बीच उच्चस्तरीय बैठकों की रिपोर्टें इस विषय पर किसी महत्वपूर्ण निर्णय की संभावना को बल देती हैं.

    क्या जम्मू और कश्मीर का अलग-अलग दर्जा तय है?

    हाल के महीनों में जम्मू में राज्य पुनर्बहाली की मांग काफी तेज़ रही है. जम्मू क्षेत्र, जो भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से कश्मीर से अलग है, अक्सर प्रशासनिक और राजनीतिक निर्णयों में अलग प्राथमिकताओं की मांग करता आया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार जम्मू को राज्य का दर्जा देती है, तो यह निर्णय भौगोलिक, प्रशासनिक और सुरक्षा कारणों के आधार पर लिया जा सकता है न कि धार्मिक आधार पर, जैसा कि पाकिस्तान का आरोप है.

    हालांकि पाकिस्तान इस फैसले को 'धार्मिक ध्रुवीकरण' के चश्मे से देख रहा है, लेकिन भारत में यह चर्चा काफी हद तक प्रशासनिक पुनर्गठन और क्षेत्रीय विकास के संदर्भ में की जा रही है.

    कूटनीतिक रणनीति या आंतरिक राजनीति?

    डार के बयान को भारत विरोधी बयानबाजी की एक कड़ी के रूप में भी देखा जा रहा है. पाकिस्तान, विशेषकर 5 अगस्त 2019 के बाद, बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाता रहा है, हालांकि उसे अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया है. संयुक्त राष्ट्र, OIC और अन्य मंचों पर पाकिस्तान ने कई बार भारत की आलोचना की है, लेकिन भारत ने हर बार इसे अपना ‘आंतरिक मामला’ बताते हुए दृढ़ रुख अपनाया है.

    पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में भी कश्मीर का मुद्दा हमेशा एक भावनात्मक और राजनीतिक टूल की तरह इस्तेमाल होता रहा है. इशाक डार का यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान खुद आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में यह बयान घरेलू दर्शकों के लिए एक प्रकार का ‘डाइवर्जन’ भी माना जा सकता है.

    ये भी पढ़ें- 'फिलीपींस का एक बाहरी देश को बुलाना...' दक्षिण चीन सागर में इंडियन नेवी को देखकर बौखलाई चीनी सेना