इस्लामाबाद: पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का एक महीने के लिए अध्यक्ष बनाया गया है. यह मौका पाकिस्तान के लिए अपनी विदेश नीति को मजबूती देने और अपने विरोधी भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने का सुनहरा अवसर बन गया है. पाकिस्तान का प्रयास इस अवसर का इस्तेमाल कश्मीर के विवाद को दुनिया के सामने उठाने के लिए करना है.
कश्मीर मुद्दे को वैश्विक मंच पर लाना
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के इस एक महीने के कार्यकाल के दौरान कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय चर्चा में लाने की योजना बनाई है. शहबाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान, UNSC में अनसुलझे वैश्विक विवादों पर एक खुली बहस आयोजित करने की योजना बना रहा है. यह बहस पाकिस्तान की कोशिश को मजबूती दे सकती है, जिसमें वह कश्मीर मुद्दे को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता देने की कोशिश करेगा.
UNSC की खुली बहस में पाकिस्तान का एजेंडा
पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार 22 जुलाई को न्यूयॉर्क जाएंगे, जहां वह UNSC की इस बहस की अध्यक्षता करेंगे. इस बहस में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के भी शामिल होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि पाकिस्तान का उद्देश्य विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा तंत्र का उपयोग करने की अपील करना है, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा छेड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान सीधे कश्मीर का उल्लेख नहीं करेगा, ताकि वीटो पावर वाले देशों का विरोध न हो, लेकिन वह किसी न किसी रूप में इसे वैश्विक मुद्दे के तौर पर पेश करेगा.
शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता
पाकिस्तान का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय-VI के तहत एक प्रस्ताव पारित कराना है, जो अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अधिक तंत्र का उपयोग करने का आह्वान करता है. इस अध्याय के अनुच्छेद 33 में देशों को आपसी विवादों को शांतिपूर्ण साधनों से हल करने के लिए मध्यस्थता का उपयोग करने की सलाह दी गई है.
क्या पाकिस्तान अपने प्रस्ताव को पारित करवा पाएगा?
हालांकि पाकिस्तान का यह प्रस्ताव पारित कराना आसान नहीं होगा. UNSC में किसी प्रस्ताव के पारित होने के लिए उसे कम से कम नौ वोटों की आवश्यकता होती है, और पांच स्थायी सदस्यों में से कोई भी वीटो पावर का इस्तेमाल नहीं कर सकता. पाकिस्तान की कोशिश के बावजूद, चीन समेत UNSC के स्थायी सदस्य कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामले के रूप में मानते हैं, और इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के पाकिस्तान के प्रयासों का विरोध करते हैं.
कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय है
भारत ने हमेशा कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय मुद्दा मानते हुए यह स्पष्ट किया है कि यह पाकिस्तान और भारत के बीच आपसी बातचीत का विषय है. भारत का कहना है कि कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है, और पाकिस्तान को इस मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से हल करने की कोशिश करनी चाहिए. शिमला समझौते में भी दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया था कि कश्मीर समेत दोनों देशों के विवादों का समाधान आपसी बातचीत से ही होगा.
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