पाकिस्तान और तुर्की ने अपने रक्षा संबंधों को एक नई ऊंचाई देने का संकल्प लिया है. खासतौर पर एयरोस्पेस और युद्ध कौशल के क्षेत्र में दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का फैसला किया है. यह निर्णय तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान और रक्षा मंत्री यासर गुलेर की पाकिस्तान यात्रा के दौरान लिया गया. दोनों नेता इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री इशाक डार, आर्मी चीफ सैयद असीम मुनीर और आईएसआई प्रमुख असीम मलिक से मिले.
ऑपरेशन सिंदूर पर तुर्की को पाक का धन्यवाद
इस मुलाकात के दौरान पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हालिया सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तुर्की द्वारा दिए गए समर्थन का सार्वजनिक रूप से आभार जताया. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे "भरोसेमंद मित्रता का प्रतीक" बताते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते अब केवल कूटनीति तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि "रणनीतिक साझेदारी" की दिशा में आगे बढ़ेंगे.
एयरोस्पेस में सहयोग बढ़ेगा, भारत के लिए चिंता
बैठकों के दौरान दोनों देशों ने खासतौर पर एयरोस्पेस तकनीक और युद्धक तैयारियों में सहयोग को लेकर बातचीत की. पाक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के साथ सैन्य तनाव के संदर्भ में तुर्की की मदद का उल्लेख किया गया. अब इस सहयोग के और आगे बढ़ने से भारत के लिए रणनीतिक चुनौती खड़ी हो सकती है.
पाकिस्तानी वायुसेना की प्रशंसा
तुरंत बाद तुर्की के रक्षा मंत्री यासर गुलेर ने वायुसेना मुख्यालय में पाकिस्तानी एयर चीफ जहीर अहमद बाबर सिद्धू से मुलाकात की और भारत-पाक चार दिवसीय संघर्ष में पाकिस्तानी वायुसेना के प्रदर्शन की सराहना की. उन्होंने कहा, “पाक एयरफोर्स ने युद्ध में अपनी क्षमता और रणनीतिक कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया.”
व्यापार और ऊर्जा क्षेत्रों में भी साझेदारी की कोशिश
रक्षा के अलावा आर्थिक मोर्चे पर भी दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाने की बात की. विदेश मंत्री इशाक डार ने बताया कि द्विपक्षीय व्यापार को 5 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है. ऊर्जा, खनन, प्राकृतिक गैस और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के क्षेत्र में भी समझौतों की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. फिदान ने बताया कि तुर्की की पेट्रोलियम कंपनी TPAO और पाकिस्तान की तेल कंपनियों के बीच हुआ समझौता इस दिशा में अहम कदम है.
भारत-पाक तनाव भी एजेंडे का हिस्सा
तुर्की के मंत्रियों की यह यात्रा ऐसे वक्त में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में फिर तनाव बना हुआ है. तुर्की के मीडिया में साफ कहा गया है कि इस दौरे में भारत-पाक संबंधों की मौजूदा स्थिति भी चर्चा का अहम हिस्सा रही. इस खुले समर्थन से भारत-तुर्की रिश्तों में भी खटास आने की संभावना जताई जा रही है.
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