पहलगाम के नृशंस आतंकी हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की आतंकी फैक्ट्री को बेनकाब कर दिया है. 27 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई के अलावा एक और शक्तिशाली हथियार चुना है - पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को निशाने पर लेना. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत पाकिस्तान के खिलाफ दो प्रमुख आर्थिक कार्रवाइयों की तैयारी कर रहा है:
1. FATF की ग्रे लिस्ट में वापसी की कोशिश
भारत वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था FATF में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटा रहा है. पाकिस्तान पहले जून 2018 से अक्टूबर 2022 तक इस लिस्ट में रह चुका है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ था. भारत के पास मजबूत मामला है क्योंकि FATF की ही सितंबर 2024 की रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को चिन्हित किया गया था
2. IMF की मदद रोकने की योजना
भारत पाकिस्तान को मिल रही IMF की 7 अरब डॉलर की किश्त पर आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी में है. मई में होने वाली IMF बोर्ड बैठक में भारत इस मुद्दे को उठाएगा. भारत का आरोप है कि पाकिस्तान यह धन आतंकवाद को प्रायोजित करने में उपयोग कर रहा है. रणनीतिक महत्व यह कदम पाकिस्तान की पहले से डूबती अर्थव्यवस्था पर कड़ा प्रहार करेगा. FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान को वैश्विक वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने में कठिनाई होगी. IMF की मदद रुकने से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार और संकट में आ सकता है.
अंतरराष्ट्रीय समर्थन
पहलगाम हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित 23 देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई है. भारत एफएटीएफ और एशिया पैसेफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग दोनों का सदस्य है, जो उसे मजबूत वैश्विक मंच प्रदान करता है
ऐतिहासिक संदर्भ
2008 के मुंबई हमलों के बाद भी FATF की कार्रवाई ने पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर किया था. इस बार भारत पाकिस्तान को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की मजबूत रणनीति पर काम कर रहा है. यह कदम दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक ही सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि पाकिस्तान को उसकी आर्थिक नसों पर प्रहार करके सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है.
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