कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने पुराना राग फिर दोहराया, शहबाज शरीफ ने भारत के खिलाफ उगला जहर

    भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी और कश्मीर पर प्रोपेगैंडा फैलाने की अपनी आदत से पाकिस्तान फिर बाज नहीं आया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई सैन्य हार के बाद भी पाकिस्तान के सुर में कोई बदलाव नहीं आया है.

    Pakistan Raised question again in kashmir guarantee of peace to unsc
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    भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी और कश्मीर पर प्रोपेगैंडा फैलाने की अपनी आदत से पाकिस्तान फिर बाज नहीं आया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई सैन्य हार के बाद भी पाकिस्तान के सुर में कोई बदलाव नहीं आया है. इस बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 19 जुलाई को मनाए जाने वाले कथित ‘कश्मीर विलय दिवस’ पर भारत को निशाना बनाते हुए पुराना एजेंडा दोहराया है.

    संयुक्त राष्ट्र का हवाला देकर कश्मीर पर बोले शहबाज

    शहबाज शरीफ ने अपने संदेश में कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप ही होना चाहिए. उन्होंने इसे क्षेत्रीय शांति के लिए ‘अनिवार्य’ करार दिया. अपने भाषण में शहबाज ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सरकार और वहां की जनता कश्मीर के लोगों को नैतिक, राजनीतिक और राजनयिक समर्थन देती रहेगी.

    गौरतलब है कि पाकिस्तान हर साल 19 जुलाई को कश्मीर विलय दिवस के रूप में मनाता है. पाकिस्तान का दावा है कि 1947 में इसी दिन श्रीनगर में मुस्लिम सम्मेलन द्वारा पाकिस्तान में जम्मू-कश्मीर के विलय का प्रस्ताव पारित हुआ था. उसी कथित प्रस्ताव के आधार पर वह अब भी भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने की कोशिश करता रहता है.

    भारतीय सेना को बताया 'क्रूर', आतंकवाद को नजरअंदाज

    शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में एक बार फिर भारत पर झूठे आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में तैनात भारतीय सैनिक कथित तौर पर 'क्रूरता' कर रहे हैं. उन्होंने 1947 से अब तक के कश्मीरी 'बलिदानों' की बात करते हुए इसे 'संघर्ष की तीसरी पीढ़ी' करार दिया, जो आज भी आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ रही है. हालांकि शहबाज ने इस दौरान कश्मीर में लगातार फैलाए जा रहे आतंकवाद और पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुटों की भूमिका पर एक शब्द भी नहीं कहा.

    अप्रैल में भारत ने दिया था करारा जवाब

    इस साल अप्रैल में पाकिस्तान प्रायोजित एक आतंकी संगठन ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में एक भीषण हमला किया था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. इस नृशंस हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर मौजूद आतंकी अड्डों को बमबारी से तबाह किया.

    इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सीमित सैन्य संघर्ष चला, जिसमें दोनों पक्षों ने मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया. 10 मई को संघर्षविराम लागू हुआ, लेकिन तब तक भारतीय सेना पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बना चुकी थी. इनमें रावलपिंडी के पास स्थित रहीम यार खान (चकलाला) एयरबेस भी शामिल था, जो पाकिस्तानी सेना की अहम सैन्य चौकियों में गिना जाता है.

    पाकिस्तान की साख पर फिर उठे सवाल

    एक ओर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति और कूटनीति की बातें करता है, वहीं दूसरी ओर उसके नेताओं के भाषण और आतंकवाद को मिलने वाला समर्थन उसकी मंशा को उजागर कर देते हैं. भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और इस पर किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है. ऐसे में शहबाज शरीफ का यह ताजा बयान एक बार फिर यही दिखाता है कि पाकिस्तान अभी भी अपने पुराने प्रोपेगैंडा और विफल रणनीतियों से बाहर नहीं निकल पाया है.

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