हाल ही में एक हैरान करने वाला दावा सामने आया है, जिसने भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने यह सनसनीखेज बयान दिया है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की कमान अब एक अमेरिकी जनरल के हाथों में है. उन्होंने एक पॉडकास्ट में यह जानकारी साझा की, जो अब अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बन चुकी है.
भारत ने इसी कारण पीछे हटाया था कदम
जॉन किरियाको ने दावा किया कि एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान सरकार ने अपने परमाणु शस्त्रागार का नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया है. किरियाको के मुताबिक, यह भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश था और इसी कारण भारत ने 2002 में पीछे हटने का फैसला किया, जब दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की आशंका चरम पर थी.
नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी नियंत्रण का भी खुलासा
इससे पहले वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार इम्तियाज गुल भी इस बात का संकेत दे चुके हैं कि पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी नियंत्रण है. इम्तियाज गुल लंबे समय से अफगान-पाक सीमा और इस्लामी चरमपंथी संगठनों पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं, जिससे उनके खुलासों को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
आतंकियों के हाथ परमाणु हथियार लगने का खतरा?
पॉडकास्ट में जब जॉन किरियाको से पूछा गया कि क्या आतंकवादी संगठन, खासकर अल-कायदा, पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कब्जा कर सकते हैं, तो उन्होंने इसे असंभव बताया. उनका कहना था कि अब वह जोखिम काफी हद तक समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा कि वास्तविक खतरा पहले पूर्व सोवियत यूनियन की परमाणु सामग्री से था, लेकिन वर्तमान में पाकिस्तान की स्थिति को लेकर चिंता उतनी नहीं है.
2002 में भारत का संभावित परमाणु हमला?
एक और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए किरियाको ने कहा कि जब वे 2002 में पाकिस्तान में तैनात थे, तब अमेरिकी दूतावास को खाली कराया गया था क्योंकि अमेरिका को सूचना मिली थी कि भारत पाकिस्तान पर परमाणु हमला करने वाला है. उन्होंने बताया कि उस वक्त दूतावास में सिर्फ गिने-चुने अमेरिकी अधिकारी बचे थे और उन्हें निकालने के लिए एक हेलीकॉप्टर तैयार रखा गया था. हालांकि, इस दावे की पुष्टि किसी आधिकारिक सार्वजनिक दस्तावेज़ से नहीं हो सकी है.
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