अमेरिका को धोखा देगा पाकिस्तान! F-16 को वायुसेना से बाहर करने हो रही तैयारी, क्या करेंगे ट्रंप?

    पाकिस्तान वायुसेना की ताकत माने जाने वाले अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमान अब धीरे-धीरे अपने आखिरी दौर में पहुंचते दिख रहे हैं. कभी पाकिस्तान के लिए सैन्य शक्ति का प्रतीक रहे ये फाइटर जेट अब तकनीकी दिक्कतों और अमेरिकी शर्तों के कारण बोझ बनते जा रहे हैं.

    Pakistan depend on american f 16 fighter jet
    Image Source: ANI

    पाकिस्तान वायुसेना की ताकत माने जाने वाले अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमान अब धीरे-धीरे अपने आखिरी दौर में पहुंचते दिख रहे हैं. कभी पाकिस्तान के लिए सैन्य शक्ति का प्रतीक रहे ये फाइटर जेट अब तकनीकी दिक्कतों और अमेरिकी शर्तों के कारण बोझ बनते जा रहे हैं. इसके चलते पाकिस्तान अब इन विमानों से दूरी बना रहा है और उनकी जगह चीन के साथ मिलकर बनाए गए JF-17 थंडर को आगे बढ़ा रहा है.

    पाकिस्तानी वायुसेना लंबे समय से अपने पुराने F-16 विमानों के इंजनों में लगातार आ रही दिक्कतों से जूझ रही है. इन विमानों में प्रैट एंड व्हिटनी कंपनी के F100 इंजन लगे हैं, खासकर F100-PW-200 और F100-PW-229 मॉडल, जो ऑपरेशन के दौरान बार-बार तकनीकी समस्याएं पैदा कर रहे हैं. इन तकनीकी परेशानियों के साथ-साथ अमेरिका की ओर से स्पेयर पार्ट्स की सीमित आपूर्ति ने स्थिति को और जटिल बना दिया है.

    इंजन की खराबी और स्पेयर पार्ट्स की किल्लत

    बीते तीन वर्षों में पाक वायुसेना ने कई इंजनों को अनुपयोगी घोषित कर दिया है. नियमित रखरखाव के बावजूद लगातार खराबी, पुरानी मशीनरी और आवश्यक कलपुर्जों की भारी कमी की वजह से अब F-16 को उड़ाए रखना एक चुनौती बन गया है.

    अमेरिका की सख्त शर्तें बनी बड़ी रुकावट

    F-16 विमानों की दिक्कतें केवल तकनीकी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक भी हैं. अमेरिका ने इन विमानों के इस्तेमाल पर सख्त निगरानी रखी है और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति को कई कड़े नियमों के अधीन कर दिया है. यह सीमाएं पाकिस्तान के लिए अब भारी साबित हो रही हैं. विमानों की उम्र बढ़ने के साथ-साथ जब उन्हें ज्यादा देखभाल और मरम्मत की जरूरत होती है, तब जरूरी उपकरणों और तकनीकी मदद की अनुपलब्धता पाकिस्तान को पीछे धकेल रही है.

    ऑपरेशनल संकट और ट्रंप की मुश्किलें

    अगर पाकिस्तान F-16 जेट को पूरी तरह बेड़े से हटाता है, तो इसका असर केवल उसकी वायुसेना तक सीमित नहीं रहेगा. यह कदम अमेरिका, विशेषकर डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी झटका साबित हो सकता है, जो इस फाइटर जेट को भारत सहित अन्य देशों को बेचना चाहते हैं. पाकिस्तान का इस विमान से किनारा करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके भरोसे को प्रभावित करेगा और अमेरिका की डिफेंस डिप्लोमेसी को कमजोर कर सकता है.

    चीन के साथ गहराता सैन्य सहयोग

    F-16 के विकल्प के तौर पर पाकिस्तान अब चीन के सहयोग से विकसित किए गए JF-17 थंडर जेट पर निर्भरता बढ़ा रहा है. यह हल्का लड़ाकू विमान पाकिस्तान के मौजूदा बजट और रणनीतिक जरूरतों के अनुरूप है. इसकी देखभाल भी अपेक्षाकृत आसान है और इसमें अमेरिकी शर्तों जैसी बाधाएं भी नहीं हैं. JF-17 न केवल कम लागत वाला विकल्प है, बल्कि पाकिस्तान के लिए सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम भी बनता जा रहा है. यह पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का भी प्रतीक है.

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