जब भारत ने शुक्रवार की रात पाकिस्तान के सैन्य अड्डों पर एक के बाद एक सटीक हमले किए, तब इस्लामाबाद में खलबली मच गई. 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता और उसके प्रभाव ने पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था की नींव तक हिला दी. अब विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से जो जानकारी सामने आ रही है, वह बताती है कि पाकिस्तान ने सीजफायर की पहल खुद की थी, और वो भी अमेरिका के सामने हाथ जोड़कर.
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने अमेरिकी अधिकारियों को देर रात फोन कर मदद की गुहार लगाई. संदेश स्पष्ट था—"भारत के हमले से हमें बचा लीजिए, वरना सबकुछ तबाह हो जाएगा." यही वह कॉल था, जिसने अगले कुछ घंटों में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को सक्रिय कर दिया.
अमेरिका ने निभाया मध्यस्थ की भूमिका
रातभर अमेरिकी अधिकारियों की भागदौड़ और पाकिस्तान के गिड़गिड़ाते अनुरोधों के बाद भारत को संदेश भेजा गया. अमेरिकी मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल युद्धविराम पर सहमति बनी. भारत ने सीजफायर की पेशकश को एक अवसर के तौर पर लिया.
भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान में जो डर का माहौल बना, वह इस तथ्य से ही साफ झलकता है कि 5 मिलिट्री बेस और 2 रडार स्टेशन भारतीय हमलों की चपेट में आ चुके थे. ये ठिकाने पंजाब प्रांत में स्थित थे और इन पर हमले के बाद पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली हिल गई.
पाकिस्तानी मंत्रियों ने भी मानी सच्चाई
पाकिस्तान की ओर से अब शांति की भाषा बोली जा रही है. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और विदेश मंत्री इशाक डार ने सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि अगर भारत हमला रोकता है तो वे भी पीछे हट जाएंगे. हालांकि, उन्होंने यह नहीं माना कि हमला पाकिस्तान की ओर से शुरू हुआ था.
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