पाकिस्तान फिर पैसों के लिए फैलाएगा हाथ! पीएम मोदी की चीन यात्रा से ठीक पहले चुकाया चुकाया 100 अरब का कर्ज

    चीन से रिश्ते बनाए रखने के लिए पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने हाथ फैला दिए हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की आगामी बीजिंग यात्रा से ठीक पहले पाकिस्तान सरकार ने चीनी पावर कंपनियों का 100 अरब रुपये से अधिक का बकाया चुकाने का निर्णय लिया है.

    Pakistan clears loan of 100 billion of china before pm modi visits
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    चीन से रिश्ते बनाए रखने के लिए पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने हाथ फैला दिए हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की आगामी बीजिंग यात्रा से ठीक पहले पाकिस्तान सरकार ने चीनी पावर कंपनियों का 100 अरब रुपये से अधिक का बकाया चुकाने का निर्णय लिया है. यह भुगतान उस कुल राशि का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है, जो CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर) के तहत बनी कंपनियों पर पाकिस्तान के सिर पर अब भी बाकी है.

    दरअसल, बीते कुछ वर्षों में चीन ने बार-बार पाकिस्तान की उस आदत को लेकर नाराज़गी जताई है जिसमें वह पावर कंपनियों के बिलों का भुगतान समय पर नहीं करता. यही वजह है कि अब चीन से मिलने वाले किसी भी नए आर्थिक पैकेज की उम्मीदों पर खुद पाकिस्तान की ही छवि भारी पड़ रही थी. ऐसे में शहबाज सरकार ने बीजिंग रवाना होने से पहले चीन को ‘गुडविल पैकेज’ देकर माहौल को अनुकूल बनाने की रणनीति अपनाई है.

    वास्तविकता क्या है? रिपोर्टों से उभरता सच

    सरकारी आंकड़ों में दावा किया गया है कि पाकिस्तान का सर्कुलर डेब्ट घटकर 800 अरब रुपये के करीब आ गया है. लेकिन फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FPCCI) की एक ताज़ा रिपोर्ट इस तस्वीर को पूरी तरह बदल देती है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह गिरावट किसी संरचनात्मक सुधार का नतीजा नहीं, बल्कि सिर्फ बजट में से सीधे फंड डालने का परिणाम है. 

    सरल शब्दों में कहें तो जो धन आम जनता की बिजली सब्सिडी के लिए तय था, उसे पावर कंपनियों के बकाये चुकाने में लगा दिया गया. FPCCI के मुताबिक अगर यह एकमुश्त भुगतान अलग कर दिया जाए, तो असल में पाकिस्तान का कर्ज और 379 अरब रुपये बढ़ा हुआ मिलता है. इस पूरी कवायद का मकसद साफ है. चीनी कंपनियों को भुगतान दिखाकर भविष्य में चीन से और कर्ज हासिल करना. जानकारों का मानना है कि चीन इस बार भी मना नहीं करेगा.

    CPEC समझौते की अनदेखी का नतीजा

    2015 में हुए CPEC एनर्जी एग्रीमेंट के तहत पाकिस्तान को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह चीनी कंपनियों को समय पर भुगतान करेगा. इसके लिए एक "रिवॉल्विंग फंड" की व्यवस्था की गई थी. लेकिन सच्चाई यह है कि यह फंड 2022 तक बना ही नहीं और जब बनाया गया तो उसमें से निकासी की सीमा 4 अरब रुपये प्रति माह तय कर दी गई. नतीजा आज 423 अरब रुपये का बकाया चीन की कंपनियों पर बना हुआ है.

    बीजिंग यात्रा: कूटनीतिक समीकरण और आर्थिक उम्मीदें

    शहबाज शरीफ इस सप्ताह चीन की राजधानी बीजिंग जा रहे हैं, जहां वे SCO सम्मेलन और एक बिजनेस इन्वेस्टमेंट मीटिंग में हिस्सा लेंगे. दौरे से पहले उन्होंने अपने वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया कि 25 अगस्त तक हर हाल में 100 अरब का भुगतान पूरा किया जाए. इस भुगतान को एक 'कूटनीतिक तोहफे' की तरह देखा जा रहा है, ताकि चीन के साथ संबंध मजबूत बनाए रखे जा सकें और भविष्य में जरूरत पड़ने पर कर्ज हासिल करने का रास्ता खुला रहे.

    जनता के संकट, कंपनियों की राहत

    दिलचस्प बात यह है कि 2017 से अब तक पाकिस्तान सरकार ने 18 चीनी पावर प्रोजेक्ट्स को करीब 5.1 ट्रिलियन रुपये का भुगतान किया है, जो कि उनके कुल दावों का लगभग 92% हिस्सा है. इसके बावजूद चीन की कंपनियों का बकाया घटने की बजाय बढ़ता गया है. दरअसल, बकाया में एक बड़ा हिस्सा लेट पेमेंट सरचार्ज का है, जिसे पाकिस्तान सरकार चुकाती जा रही है. इस वजह से असल कर्ज भले ही 300 अरब के नीचे हो, लेकिन जुर्माने और ब्याज के कारण बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच, आम पाकिस्तानी नागरिक बिजली कटौती, महंगे बिल और महंगाई से परेशान है. लेकिन सरकार जनता को राहत देने के बजाय चीन को प्राथमिकता दे रही है.

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