जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए कई अहम पाबंदियों की घोषणा की है. इनमें सबसे प्रभावशाली निर्णय पाकिस्तान को सभी तरह के वीजा देने पर रोक और वहां दवाओं के निर्यात को बंद करना शामिल है. इन फैसलों का सीधा असर पाकिस्तान की आम जनता, खासकर बीमार मरीज़ों पर पड़ने जा रहा है.
10 गुना बढ़ जाएगी दवाओं की कीमत
भारत से पाकिस्तान को बड़ी मात्रा में जेनेरिक दवाओं का निर्यात होता था, जिनकी कीमत यूरोपीय या अन्य देशों की तुलना में काफी कम होती है. अब यह आपूर्ति ठप हो जाने से पाकिस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक डॉक्टर अजय सहाय का मानना है कि इससे पाकिस्तान में दवाओं की कीमतें 5 से 10 गुना तक बढ़ सकती हैं.
कंगाल पाकिस्तान पर पड़ा एक और बोझ
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अब पाकिस्तान को दवाओं की पूर्ति के लिए यूरोपीय देशों या चीन जैसे विकल्पों पर निर्भर होना पड़ेगा, जिससे इलाज का खर्च आम लोगों की पहुंच से बाहर हो सकता है. भारत से होने वाला यह व्यापार पहले से ही सीमित था, लेकिन अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक दोनों देशों के बीच 500 मिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जिसमें से 450 मिलियन डॉलर का निर्यात भारत से हुआ.
अब डगमगाएगी पाक की स्वास्थ्य व्यवस्था
सिर्फ दवाएं ही नहीं, भारत से आने वाले मेडिकल वीज़ा पर प्रतिबंध लगने से भी हजारों पाकिस्तानी मरीज़ों की भारत में इलाज की उम्मीदें टूट गई हैं. इसका असर पाकिस्तान के अस्पतालों पर अतिरिक्त बोझ के रूप में दिखेगा, जो पहले ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं.
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