जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की लकीरों को गहरा कर दिया है. 26 मासूम पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने ठोस रणनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. पहले सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला सामने आया था, वहीं अब एयरस्पेस और समुद्री मार्ग बंद करने की रणनीति तैयार की जा रही है. यह कदम पाकिस्तान के लिए आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक मोर्चे पर तगड़ा झटका साबित हो सकता है.
भारत के एक्शन से लड़खड़ाएगा पाकिस्तान
भारत का हवाई क्षेत्र पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण शॉर्टकट रहा है. इसी रास्ते से होकर वह दक्षिण-पूर्व एशिया और चीन जैसे क्षेत्रों तक कम दूरी, कम समय और कम ईंधन में पहुंच जाता है. लेकिन यदि भारत यह रास्ता बंद कर देता है, तो स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी. अभी पाकिस्तान से चीन की दूरी हवाई मार्ग से केवल 805 किमी है. उड़ान में लगभग 4 घंटे 37 मिनट का समय लगता है. भारत के एयरस्पेस पर रोक के बाद यही दूरी बढ़कर 3,312 किमी हो सकती है. वहीं उड़ान का समय भी 5 घंटे 35 मिनट से अधिक हो जाएगा.
कंगाल पाकिस्तान को लगेगा तगड़ा झटका
भारत अपने समुद्री रास्तों को भी पाकिस्तान के लिए बंद करने की योजना में है. यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान के मालवाहक जहाजों को वैकल्पिक, लंबी और खर्चीली समुद्री लाइनें चुननी होंगी. इससे आयात-निर्यात महंगा, धीमा और असुरक्षित हो जाएगा. इससे पाकिस्तान की मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था पर और भार बढ़ेगा.
हाल ही में पाकिस्तान ने भारत के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद किया था. लेकिन वह कदम महज राजनीतिक इशारे की तरह था. भारत अब कूटनीतिक दबाव के साथ रणनीतिक मार की तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत का यह रुख साफ संकेत देता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत अब 'स्ट्राइकिंग पॉलिसी' पर है.
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