अल्जीरिया: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कठघरे में खड़ा किया है. एक बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में अल्जीरिया दौरे पर पहुंचे ओवैसी ने एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान न केवल आतंकी संगठनों को पनाह देता है, बल्कि उनकी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने में भी विफल रहा है.
लखवी का उदाहरण: जेल में रहते हुए पिता बना
अपने संबोधन में ओवैसी ने 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी का उदाहरण देते हुए बताया कि "पाकिस्तान की जेल में रहते हुए भी वह एक बच्चे का पिता बना, यह स्थिति कानून व्यवस्था और सजा के प्रावधानों का मजाक उड़ाने वाली है."
उन्होंने कहा, "दुनिया में कोई भी न्यायप्रिय देश आतंकवाद के आरोपी को जेल में इस तरह की सहूलियतें नहीं देता."
FATF से दोबारा निगरानी की मांग
ओवैसी ने इस मुद्दे को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के संदर्भ में भी उठाया और पाकिस्तान को दोबारा 'ग्रे लिस्ट' में शामिल करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान पहले FATF की निगरानी सूची में था, तभी लखवी पर कानूनी कार्रवाई में थोड़ी प्रगति हुई थी. "अब फिर उसे उसी स्थिति में लाना आवश्यक है, ताकि वह वैश्विक नियमों के तहत जवाबदेह बन सके."
आतंकवाद के विरुद्ध इस्लामी दृष्टिकोण
ओवैसी ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद इस्लाम की शिक्षाओं के पूर्णतः विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों की हत्या न केवल एक अपराध है, बल्कि यह इस्लाम के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन है.
उन्होंने पाकिस्तान को 'तकफीरवाद का गढ़' बताते हुए कहा कि वहां की कुछ आतंकी विचारधाराएं ISIS और अल-कायदा जैसी वैश्विक आतंकी संस्थाओं से मिलती-जुलती हैं, जो झूठे धार्मिक औचित्य का सहारा लेकर हिंसा फैलाती हैं.
भारत की आतंकवाद-रोधी नीति की तारीफ
ओवैसी ने भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीतियों और सुरक्षा एजेंसियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया.
उन्होंने स्पष्ट कहा: "जो भी हथियार उठाएगा और निर्दोषों की जान लेगा, वह आतंकवादी है, चाहे वह किसी भी देश, धर्म या विचारधारा से संबंध रखता हो."
भारत-अल्जीरिया सहयोग पर बल
ओवैसी ने अल्जीरिया के साथ भारत के बढ़ते रणनीतिक और रक्षा सहयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों देशों ने 2024 में एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएगा.
उन्होंने आशा जताई कि दोनों देशों के शीर्ष नेता शीघ्र ही परस्पर दौरे करेंगे, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को नई दिशा मिलेगी.
प्रतिनिधिमंडल की कूटनीतिक यात्रा
इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा सांसद बैजयंत पांडा कर रहे हैं और इसमें विभिन्न दलों से सांसद और पूर्व वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं. यह प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया के दौरे पर था, जहां पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक नीतियों पर बार-बार सवाल उठाए गए.
ओवैसी ने बहरीन और कुवैत में भी इसी तरह के बयान दिए थे, जहां उन्होंने FATF जैसी वैश्विक संस्थाओं से कड़ी कार्रवाई की वकालत की और भारत की सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया.
मुंबई हमलों का विस्तार से उल्लेख किया
ओवैसी ने 26/11 मुंबई हमलों का भी विस्तार से उल्लेख किया और बताया कि कैसे भारत ने उस समय सबूत जुटाए और उन्हें पाकिस्तान को सौंपा.
उन्होंने कहा, "भारत की खुफिया एजेंसियों ने न केवल आतंकियों के बीच की बातचीत रिकॉर्ड की, बल्कि पाकिस्तान में बैठे निर्देशकों की पहचान भी की. बावजूद इसके, पाकिस्तान ने इन सबूतों को नजरअंदाज किया."
उन्होंने साजिद मीर के मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भारत ने जर्मनी में FATF की बैठक में उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की, तो पाकिस्तान ने शुरू में उसे मृत बताया, लेकिन वैश्विक दबाव के चलते बाद में उसे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सजा सुनाई गई. ओवैसी ने कहा, "यह दर्शाता है कि पाकिस्तान आतंकी मामलों को कितनी गंभीरता से लेता है."
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