'ओरेश्निक मिसाइलट' जिसके हमले से दहल गया यूक्रेन, रूस ने किया जवाबी हमला; जानें ताकत

    रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. 5 जून 2025 की रात रूस ने यूक्रेन पर ‘ओरेश्निक’ नामक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) से हमला किया.

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    Image Source: ANI

    रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. 5 जून 2025 की रात रूस ने यूक्रेन पर ‘ओरेश्निक’ नामक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) से हमला किया. यह कोई आम मिसाइल नहीं, बल्कि रूस की अब तक की सबसे उन्नत हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली है, जो 12,000 किमी/घंटा से अधिक की गति से हमला करने में सक्षम है. दिलचस्प बात यह है कि इस मिसाइल की तुलना भारत-रूस की संयुक्त मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ से की जा रही है हालांकि दोनों में कई बुनियादी अंतर हैं.

    क्या है ओरेश्निक मिसाइल?

    नाम का अर्थ: 'ओरेश्निक' रूसी भाषा में "हेज़ल ट्री" को कहा जाता है. मिसाइल प्रकार: हाइपरसोनिक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल. गति: मैक 11 (करीब 12,300 किमी/घंटा). रेंज: 5,000 से 5,500 किलोमीटर. लॉन्च तकनीक: मोबाइल लॉन्चर से दागी जाती है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल होता है. पहला उपयोग: 21 नवंबर 2024 को यूक्रेन के ड्निप्रो शहर में एक रक्षा संयंत्र पर.

    डिज़ाइन और तकनीक

    विकासकर्ता: मॉस्को इंस्टीट्यूट फॉर थर्मल टेक्नोलॉजी (MITT) और सोज़वेज़दी. आधार मॉडल: RS-26 रुबेझ का संशोधित संस्करण, जिसमें कुछ तकनीकें ‘बुलावा’ मिसाइल से ली गई हैं. वारहेड्स: इसमें 6 MIRVs (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) होते हैं, जिनमें कुल 36 सबम्यूनिशन हो सकते हैं. पेलोड क्षमता: परमाणु और गैर-परमाणु दोनों तरह के वारहेड ले जाने में सक्षम.

    तेज़ी और ताकत का मेल

    इस मिसाइल की रफ्तार इतनी अधिक है कि इसे पारंपरिक एयर डिफेंस सिस्टम जैसे THAAD और Patriot से रोक पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है. यह हाई-आर्क ट्रैजेक्टरी में उड़ती है और वारहेड मैन्युवरेबल हैं — यानी बीच रास्ते में दिशा भी बदल सकते हैं.

    एक असफल लॉन्च और कजाकिस्तान में गिरा मलबा

    फरवरी 2025 में रूस की एक ओरेश्निक मिसाइल का परीक्षण विफल रहा और उसका मलबा कजाकिस्तान में गिरा. इस पर यूक्रेनी ब्लॉगर किरिलो साज़ोनोव ने तंज कसा कि मिसाइल खराब थी. हालांकि, यूक्रेन की रणनीतिक संचार इकाई ने इसकी पुष्टि नहीं की.

    उत्पादन और लागत: सस्ती नहीं है तकनीक

    प्लान: रूस ने दिसंबर 2024 में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने की घोषणा की थी. चुनौतियाँ: विशेषज्ञों के अनुसार, नौकरशाही और तकनीकी सीमाएं इस प्रोजेक्ट में बाधा बन रही हैं. उत्पादन दर: अनुमान है कि रूस प्रति माह 25 मिसाइलें बना सकता है. लागत: इसकी वास्तविक कीमत अज्ञात है, लेकिन यह इस्कंदर-1000 मिसाइल से कहीं ज्यादा महंगी बताई जाती है. कुछ रिपोर्टों में घोटालों की आशंका भी जताई गई है. रूसी सहयोगी देश बेलारूस ने मई 2025 में कहा कि इस साल के अंत तक उसकी ज़मीन पर ओरेश्निक मिसाइलें तैनात की जाएंगी. इससे पश्चिमी देशों की चिंता और बढ़ गई है.

    यूक्रेन का जवाब: स्वदेशी डिफेंस सिस्टम की तैयारी

    यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और सेना प्रमुख ओलेक्जेंडर सिरस्की ने कहा है कि यूक्रेन अपने स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम पर तेजी से काम कर रहा है, जो ओरेश्निक जैसे खतरों से निपट सके.

    क्या वाकई ब्रह्मोस की कॉपी है ओरेश्निक?
    हालांकि कुछ लोग इसे भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल की नकल बता रहे हैं, लेकिन तकनीकी रूप से दोनों में बुनियादी अंतर हैं:

    • पहलू    ब्रह्मोस    ओरेश्निक
    • मिसाइल टाइप    सुपरसोनिक क्रूज    हाइपरसोनिक बैलिस्टिक
    • गति    मैक 3-4    मैक 11
    • तकनीक    रैमजेट इंजन आधारित    बैलिस्टिक और MIRV आधारित
    • रेंज    ~500 किमी    ~5,500 किमी
    • विकास    भारत-रूस संयुक्त    रूस की घरेलू परियोजना इसलिए, यह कहना कि ओरेश्निक ब्रह्मोस की नकल है — तकनीकी रूप से गलत होगा. दोनों का उद्देश्य, डिज़ाइन और संचालन बिल्कुल अलग है.

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