Oil Board In School: क्या आपके बच्चे स्कूल में रोज़ क्या खा रहे हैं, इस पर आपने कभी गौर किया है? क्या वे जंक फूड और अधिक तेल-चीनी वाले खाने की आदतों में फंसते जा रहे हैं? शायद अब समय आ गया है कि स्कूल ही इस आदत को बदलने की जिम्मेदारी उठाएं और CBSE ने इस दिशा में पहला ठोस कदम उठाया है.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे अपने परिसर में ‘ऑयल बोर्ड’लगाएं. यह कदम बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्या को देखते हुए लिया गया है, और इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को तेल के संतुलित उपयोग और हेल्दी लाइफस्टाइल के बारे में शिक्षित करना है.
क्या होता है 'ऑयल बोर्ड'?
‘ऑयल बोर्ड’ एक प्रकार का सूचना बोर्ड है जो बच्चों को यह बताता है कि खाना पकाने में तेल का अत्यधिक उपयोग कैसे उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. इसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर जानकारी दी जाएगी:
रोज़ाना तेल की सीमित मात्रा क्या होनी चाहिए
अधिक तेल सेवन से होने वाले नुकसान (मोटापा, हृदय रोग, डायबिटीज़ आदि)
हेल्दी विकल्प जैसे उबला, ग्रिल्ड या स्टीम्ड खाना क्यों बेहतर है
इन बोर्डों को डिजिटल स्क्रीन या पोस्टर फॉर्मेट में स्कूलों के कॉमन एरिया जैसे कैंटीन, सीढ़ियों के पास या क्लासरूम के बाहर लगाया जाएगा.
शुगर बोर्ड के बाद अब ऑयल बोर्ड
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बच्चों में बढ़ते मोटापे का ज़िक्र किया था और शुगर बोर्ड लगाने की सलाह दी थी. CBSE ने उस पर अमल करते हुए सभी स्कूलों में चीनी से जुड़े जानकारी वाले बोर्ड पहले ही लगाने शुरू कर दिए थे. अब उसी दिशा में अगला कदम है, तेल का संतुलन सिखाना.
स्कूल दस्तावेज़ों पर भी होगा 'हेल्दी मैसेज'
CBSE ने निर्देश दिया है कि स्कूलों के सभी सरकारी दस्तावेजों, जैसे नोटपैड, लेटरहेड, रिपोर्ट कार्ड, नोटिस आदि पर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने वाले संदेश शामिल किए जाएं. इससे हेल्दी लाइफ का संदेश बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों तक हर स्तर पर पहुंचेगा.
बच्चों को मिलेगी फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरणा
CBSE ने स्कूलों से कहा है कि वे बच्चों को सीढ़ियां चढ़ने, पैदल चलने, और खेलकूद व एक्सरसाइज़ को दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित करें. इसके साथ ही जंक फूड से दूरी और पौष्टिक आहार को बढ़ावा देने की दिशा में भी सक्रिय कदम उठाए जाएं.
मोटापे से लड़ाई जरूरी क्यों है?
CBSE ने इस पहल के पीछे दो प्रमुख रिपोर्टों का हवाला दिया है:
NFHS-5 (2019-20) के मुताबिक, हर 5 में से 1 व्यक्ति भारत में मोटापे से ग्रसित है.
The Lancet GBD रिपोर्ट (2021) बताती है कि 2021 में भारत में 18 करोड़ लोग मोटापे के शिकार थे, और यह संख्या 2050 तक 44.90 करोड़ तक पहुंच सकती है.
यह आंकड़े सिर्फ चेतावनी नहीं, आगामी स्वास्थ्य संकट का संकेत हैं. गौरतलब है कि CBSE की यह पहल सिर्फ बोर्ड की नीति नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आंदोलन की शुरुआत है. बच्चों को हेल्दी खाने, सोचने और जीने की दिशा में बढ़ाना अब सिर्फ परिवार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था का भी अहम हिस्सा बन चुका है.
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