एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी! थाईलैंड पर हमला कर बोले कंबोडिया के पीएम- और कोई विकल्प नहीं था

    दक्षिण-पूर्व एशिया एक बार फिर से सैन्य तनाव की चपेट में है. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ता सीमा विवाद अब खुली जंग का रूप ले चुका है. बीते 24 घंटे में दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी गोलीबारी और हवाई हमलों की खबरें सामने आई हैं.

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    दक्षिण-पूर्व एशिया एक बार फिर से सैन्य तनाव की चपेट में है. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ता सीमा विवाद अब खुली जंग का रूप ले चुका है. बीते 24 घंटे में दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी गोलीबारी और हवाई हमलों की खबरें सामने आई हैं. ताजा घटनाक्रम में, थाईलैंड ने एफ-16 फाइटर जेट्स के ज़रिए कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हमला किया है, जिसके बाद क्षेत्र में हालात बेहद गंभीर हो गए हैं.


    कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने गुरुवार सुबह एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से स्थिति की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि, "हमने हमेशा विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाने की कोशिश की है. लेकिन अब हमारे पास अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए सैन्य कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है." प्रधानमंत्री मानेट ने अपने नागरिकों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है. उनके पिता और कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन ने भी सोशल मीडिया के जरिए लोगों से अपील की है कि वे सीमावर्ती संघर्ष क्षेत्रों से दूर रहें, लेकिन बाकी क्षेत्रों में अपनी दिनचर्या सामान्य रूप से जारी रखें.

    यूएन सुरक्षा परिषद से हस्तक्षेप की मांग

    तनाव की गंभीरता को देखते हुए कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से तत्काल बैठक बुलाने का अनुरोध किया है. पीएम मानेट ने सुरक्षा परिषद के मौजूदा अध्यक्ष असीम इफ्तिखार अहमद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि थाईलैंड की आक्रामक कार्रवाई को रोका जाए. उन्होंने कहा, "थाईलैंड के सैन्य आक्रमणों ने क्षेत्र की शांति और स्थिरता को खतरे में डाल दिया है. ऐसे में सुरक्षा परिषद की सक्रिय भूमिका आवश्यक है."

    थाईलैंड की प्रतिक्रिया: पीछे हटो या नतीजे भुगतो

    थाईलैंड की ओर से भी स्थिति को लेकर सख्त रुख अपनाया गया है. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कंबोडिया से कहा है कि वह अपनी "उकसाने वाली कार्रवाई" तुरंत रोके. थाई पक्ष ने चेतावनी दी कि अगर कंबोडिया ने हमले जारी रखे तो आत्मरक्षा के उपाय और तेज़ किए जाएंगे. थाई अधिकारियों का यह भी आरोप है कि कंबोडियाई सैनिकों ने थाई क्षेत्र में घुसपैठ की है. वहीं कंबोडिया का दावा है कि थाईलैंड उसकी सीमाओं में जबरदस्ती निर्माण कर रहा है और अकारण बल प्रयोग कर रहा है.

    पुराना है सीमा विवाद, मंदिर बना है संघर्ष का केंद्र

    थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह तनाव 11वीं सदी के प्रसिद्ध प्रेह विहेयर मंदिर को लेकर है. यह मंदिर कंबोडिया-थाईलैंड सीमा के पास स्थित है और दोनों देश इस पर दावा करते हैं. 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया था, लेकिन थाईलैंड ने इसके आसपास के इलाके पर अपना दावा बरकरार रखा है. बीते वर्षों में भी इस क्षेत्र में 2008 और 2011 में सैन्य झड़पें हो चुकी हैं. कंबोडिया आरोप लगाता है कि थाईलैंड उसकी सीमा में सड़कें और सैन्य चौकियां बना रहा है, जबकि थाईलैंड इसे अपने क्षेत्र में विकास कार्य बताता है.

    स्थिति बेहद संवेदनशील

    फिलहाल दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के बजाय बढ़ता ही नजर आ रहा है. सैन्य कार्रवाई के बाद हजारों नागरिकों के विस्थापित होने की खबरें भी सामने आई हैं. क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि अगर जल्द ही कूटनीतिक पहल नहीं की गई, तो यह संघर्ष पूरे आसियान क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है.

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