Cheetahs in MP: भारत में चीतों को पुनः घर बसाने का बड़ा सपना अब हकीकत बनता जा रहा है. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में शुरू हुआ चीता प्रोजेक्ट अब सफलता की ओर मजबूती से बढ़ रहा है. यह प्रयास न केवल देश के वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन रहा है. अब इस परियोजना को और आगे बढ़ाने के लिए अफ्रीकी देशों से 8 से 10 नए चीतों को दिसंबर 2025 तक कूनो नेशनल पार्क में लाने की तैयारी जोरों पर है.
अफ्रीका से नए मेहमान: कूनो में लौटेंगे शिकारी
दिसंबर 2025 तक नामिबिया और बोत्सवाना जैसे अफ्रीकी देशों से 8 से 10 चीतों की नई खेप कूनो नेशनल पार्क पहुंचेगी. यह चीतों की आबादी को बढ़ाने और इनके संरक्षण को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. कूनो नेशनल पार्क को चीतों के लिए सबसे उपयुक्त स्थल माना जाता है, जहां उनकी जीवित रहने की संभावना विश्व स्तर पर सबसे अधिक यानी 61% है.
पीएम मोदी का योगदान: एक शुरुआत, जो रंग लाई
सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की नींव रखी, जब उन्होंने अपने जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को स्वतंत्र किया. इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को लाया गया. अब तक मध्य प्रदेश में कुल 27 चीतों का बसेरा हो चुका है, जिनमें से 24 कूनो में, जबकि 3 गांधीसागर अभयारण्य में हैं. इनमें से 16 चीतों का जन्म भारत में ही हुआ है, जो इस परियोजना की सफलता का प्रमाण है.
कूनो नेशनल पार्क: चीतों के लिए स्वर्ग
श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क को चीतों के लिए सबसे आदर्श माना जाता है. यहां की प्राकृतिक परिस्थितियां और संरक्षण के प्रयासों के कारण चीतों का सर्वाइवल रेट 61% तक पहुंच चुका है, जबकि विश्व का औसत केवल 40% है. कूनो में अब लगभग 15 चीतें खुले मैदानों में स्वतंत्र रूप से घूम रही हैं, जबकि नौ चीतों को सुरक्षित बाड़ों में रखा गया है. इस प्रकार, यह पार्क चीतों की संख्या बढ़ाने और उनकी प्राकृतिक जीवनशैली लौटाने में सफल साबित हो रहा है.
नई चुनौतियां और नए अवसर
जैसे-जैसे कूनो में चीतों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन्हें अन्य अभयारण्यों जैसे गांधीसागर, नौरादेही और गुजरात के बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व में भी छोड़ा जा रहा है. यह कदम चीतों के प्राकृतिक आवास को बढ़ाने और उनकी विविधता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है. सरकार और वन विभाग के प्रयासों से यह प्रोजेक्ट और मजबूत होता जा रहा है, जो भारत में वन्यजीव संरक्षण का नया अध्याय लिख रहा है.
ये भी पढ़ें: कुत्ते-बिल्ली को लेकर पति-पत्नी में हुआ ऐसा झगड़ा, आई तलाक की नौबत, बीवी बोली - पति छोड़ दूंगी लेकिन...