नेतन्याहू की कुर्सी डगमगाई, गठबंधन से बाहर हुई यूनाइटेड तोरा जूडाइज्म; इजरायल में सियासी तूफान

    गाजा युद्ध की आग के बीच अब इजराइल की राजनीति भी उबाल पर है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है.

    Netanyahu United Torah Judaism out of coalition Political storm in Israel
    नेतन्याहू | Photo: ANI

    गाजा युद्ध की आग के बीच अब इजराइल की राजनीति भी उबाल पर है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है. इजराइल में सत्ता के समीकरण अचानक उलटते नजर आ रहे हैं क्योंकि कट्टरपंथी यहूदी राजनीतिक दल यूनाइटेड तोरा जूडाइज़्म (UTJ) ने सत्तारूढ़ गठबंधन से किनारा कर लिया है. वजह एक ही—धार्मिक छात्रों को सेना में शामिल करने का सरकारी दबाव.

    इस फैसले ने नेतन्याहू की पहले से ही खस्ताहाल सरकार को और कमजोर कर दिया है. इजराइली संसद नेसेट में अब उनके पास बहुमत के लिए जरूरी 61 सीटों की सीमारेखा पर पहुंच गया है. अगर गठबंधन में शामिल दूसरी कट्टरपंथी पार्टी शास भी इसी राह पर चल पड़ी, तो नेतन्याहू की सरकार पलभर में गिर सकती है.

    धार्मिक छात्रों की वजह से टूटा गठबंधन

    इजराइल की राजनीति में येशिवा छात्र एक संवेदनशील विषय रहे हैं. ये वे छात्र होते हैं जो दुनिया के भौतिक मामलों से दूर रहकर यहूदी धर्मग्रंथों की पढ़ाई करते हैं. अब तक इन छात्रों को सैन्य सेवा से छूट मिली हुई थी, लेकिन गाजा युद्ध के बाद नेतन्याहू सरकार ने हर नागरिक के लिए सेना सेवा अनिवार्य कर दी है. यही वो फैसला है जिसने कट्टरपंथी यहूदी दलों को चौंका दिया.

    UTJ के सात में से छह सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है. इनमें डेगेल हातोरा और अगुदत यिसरायल गुटों के नेता भी शामिल हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने बार-बार अपने वादे तोड़े हैं और येशिवा छात्रों की रक्षा करने में विफल रही है.

    सियासी जंग में बढ़ता दबाव

    यूनाइटेड तोरा जूडाइज़्म के इस कदम के बाद नेतन्याहू सरकार पर गहरा असर पड़ा है. अगर शास पार्टी, जिसके पास 11 सांसद हैं, भी बगावत पर उतर आई तो नेतन्याहू की सरकार अल्पमत में आ जाएगी. अभी तक शास ने कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरखाने नाराजगी के संकेत मिल रहे हैं.

    इस फैसले का संकेत एक महीने पहले ही मिल चुका था, जब UTJ अध्यक्ष यित्ज़ाक गोल्डकनॉफ़ ने येशिवा मसले पर सरकार से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था. अब उनकी पार्टी ने बाकायदा गठबंधन से बाहर होने की घोषणा कर दी है.

    सेना भर्ती पर देश बंटा हुआ है

    गाजा में जारी जंग के चलते इजराइल सरकार पर सेना की संख्या बढ़ाने का भारी दबाव है. इसी के तहत एक नया प्रस्ताव लाया गया जिसमें धार्मिक छात्रों को भी अनिवार्य रूप से सेना में सेवा देने का प्रावधान है. लेकिन अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स पार्टियां इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मान रही हैं. उनका कहना है कि ये छात्र राष्ट्र की सेवा धर्म के ज़रिए कर रहे हैं, और उन्हें सेना में जबरन भर्ती करना धार्मिक विश्वास के खिलाफ है.

    अब आगे क्या?

    नेतन्याहू की सत्ता अब संसद के हर वोट पर टिकी है. वे पहले ही युद्ध नीति, न्यायिक सुधार और अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं के दबाव में हैं. ऐसे में अगर एक और सहयोगी दल ने गठबंधन छोड़ा, तो मध्यावधि चुनाव की नौबत आ सकती है. विपक्षी दल इस स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए हैं.

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