खामेनेई को झुका नहीं पाए नेतन्याहू, ईरान-इजरायल युद्ध में ये कैसी जीत का तमाशा? ट्रंप भी कुछ नहीं कर पाए!

    13 जून को इजरायल ने ईरान पर एक बड़े पैमाने पर हवाई हमले की शुरुआत की, जिसके बाद दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक एक भीषण संघर्ष जारी रहा.

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    नेतन्याहू | Photo: ANI

    13 जून को इजरायल ने ईरान पर एक बड़े पैमाने पर हवाई हमले की शुरुआत की, जिसके बाद दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक एक भीषण संघर्ष जारी रहा. इस जंग के दौरान इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट शब्दों में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के शासन को समाप्त करने और ईरानी परमाणु सुविधाओं को तबाह करने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, युद्ध समाप्ति के बाद यह सवाल उठता है कि क्या इजरायल ने अपने सभी उद्देश्य हासिल कर लिए?

    अमेरिका की प्रमुख विदेश नीति पत्रिका ‘फॉरेन पॉलिसी’ ने इस संघर्ष को ‘असफल जुआ’ करार दिया है. पत्रिका के अनुसार, इजरायल इस युद्ध में वह सफलता नहीं पा सका जिसकी वह उम्मीद कर रहा था. यह संघर्ष न केवल ईरान के अंदरूनी ढांचे को तोड़ने में विफल रहा, बल्कि उसने ईरानी राष्ट्रवाद को और मजबूत भी कर दिया. नेतन्याहू के इरादों के बावजूद, ईरान की सैन्य और परमाणु क्षमताएं बची रहीं.

    ईरान ने भी किया जबरदस्त जवाबी हमला

    फॉरेन पॉलिसी के विश्लेषण के मुताबिक, इस जंग में दोनों देशों को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ. ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइलों और ड्रोन हमलों के माध्यम से कड़ा पलटवार किया. तेल अवीव और हाइफा जैसे महत्वपूर्ण शहरों को निशाना बनाया गया, जहां पर भारी तबाही हुई. खासतौर पर, ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर भी हमले किए, जैसे कि कतर में अल-उदीद एयरबेस पर हमला कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया.

    विश्लेषकों ने ईरानी हमलों की योजना को सुनियोजित और सटीक बताया. जब इजरायल ने साउथ पार्स तेल रिफाइनरी पर हमला किया, तो ईरान ने हाइफा रिफाइनरी को निशाना बनाकर इसका जवाब दिया. इसी क्रम में, ईरान ने इजरायल के प्रतिष्ठित वीजमैन इंस्टिट्यूट पर भी हमला किया, जिसका उद्देश्य अपनी प्रतिरोधक क्षमता दिखाना था.

    इजरायल की रणनीति पर सवाल और भविष्य के खतरे

    इजरायल की ओर से रिहायशी इलाकों, मीडिया भवनों, जेलों और पुलिस थानों पर हमले किए गए, जिसे ईरान में आंतरिक अस्थिरता फैलाने की कोशिश के तौर पर देखा गया. इस कदम ने यह धारणा मजबूत कर दी है कि इजरायल का मकसद ईरान को आजाद कराना नहीं, बल्कि देश को अस्थिर करना था.

    फॉरेन पॉलिसी ने यह भी कहा कि युद्ध के अंत में आए युद्धविराम ने परमाणु तनाव की समस्या को हल नहीं किया है, जिससे भविष्य में कहीं बड़ा संघर्ष हो सकता है. इस लड़ाई ने क्षेत्रीय कूटनीति और सैन्य रणनीतियों को नया मोड़ दिया है, लेकिन असली समाधान अभी दूर ही नजर आता है.

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