मध्य पूर्व में लंबे समय से जारी तनाव और हिंसा के बीच गाज़ा में स्थायी शांति की उम्मीदें एक बार फिर जागी हैं. मिस्र और कतर, जो इज़रायल और हमास के बीच युद्धविराम वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं, ने अब एक नया प्रस्ताव पेश किया है, जिसे कई स्तरों पर बड़ा और दूरगामी माना जा रहा है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रस्ताव में पांच से सात वर्षों के युद्धविराम, गाज़ा से इज़रायली सेना की पूरी तरह वापसी, और फिलिस्तीनी कैदियों के बदले सभी इज़रायली बंधकों की रिहाई की बात शामिल है. साथ ही, इस समझौते को युद्ध का औपचारिक अंत भी माना जाएगा.
हमास का प्रतिनिधिमंडल काहिरा रवाना, इज़रायल की चुप्पी बरकरार
इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए हमास का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल काहिरा पहुंचने वाला है, जिसमें इसके राजनीतिक परिषद प्रमुख मोहम्मद दरवेश और प्रमुख वार्ताकार खलील अल-हय्या शामिल होंगे. इज़रायल की ओर से फिलहाल इस योजना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
गौरतलब है कि इसी साल की शुरुआत में एक अल्पकालिक युद्धविराम लागू हुआ था, जो मार्च में टूट गया. इसके बाद से इज़रायल ने गाज़ा पर बमबारी तेज कर दी, और दोनों पक्षों ने विफलता का दोष एक-दूसरे पर मढ़ा.
हमास का रुख लचीला, लेकिन नेतन्याहू टकराव के मूड में
जहां हमास ने इज़रायल के हालिया छह सप्ताह के युद्धविराम प्रस्ताव को खारिज कर दिया—क्योंकि उसमें हमास के निरस्त्रीकरण की मांग थी—वहीं संगठन ने अब गाज़ा के प्रशासन को किसी नई फिलिस्तीनी इकाई को सौंपने का संकेत भी दिया है. यह या तो वेस्ट बैंक की फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) हो सकती है, या फिर एक नया गठित प्रशासनिक ढांचा.
दूसरी तरफ, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो बयान में साफ किया कि वह हमास के सामने "सरेंडर" नहीं करेंगे. उन्होंने दो टूक कहा कि जब तक सभी बंधकों की सुरक्षित वापसी और हमास का खात्मा नहीं हो जाता, युद्ध खत्म नहीं होगा. नेतन्याहू ने हमास की शर्तों पर किसी भी युद्धविराम को इज़रायल की हार जैसा बताया है.
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