Niyad Nellnar Yojan: एक समय जब बस्तर सिर्फ नक्सलवाद और हिंसा के लिए जाना जाता था, आज वह इलाके विकास की मिसाल बनता जा रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार की पहल ‘नियद नेल्लानार योजना’ ने बस्तर के उन दूर-दराज के गांवों को नई जिंदगी दी है, जो दशकों तक मुख्यधारा से कटे हुए थे.
यह योजना, जो मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में पिछले साल फरवरी में शुरू हुई, बस्तर को अब केवल संघर्ष का क्षेत्र नहीं, बल्कि समावेशी विकास और उम्मीदों की जमीन बना रही है.
संवेदनशील इलाके में विकास का क्रांतिकारी कदम
‘नियद नेल्लानार योजना’ का लक्ष्य था कि नक्सल प्रभावित इलाकों में शासन की सक्रियता बढ़ाई जाए और लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. शुरुआत में सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में 17 विभागों की 52 योजनाएं लागू की गईं, बाद में इसे 10 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया.
सरकार ने कहा है कि सिर्फ सुरक्षा कैंप लगाने से नक्सलवाद खत्म नहीं होगा, इसके लिए विकास जरूरी है. इसी सोच के साथ पिछले डेढ़ साल में पांच जिलों, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर में 54 नए सुरक्षा कैंप बनाए गए और 327 गांवों को योजनाओं से जोड़ा गया.
शिक्षा, स्वास्थ्य और संपर्क के क्षेत्र में सुधार
बस्तर में शिक्षा के क्षेत्र में 31 नए प्राथमिक विद्यालयों को मंजूरी मिली है, जिनमें से 13 चालू हो चुके हैं. 185 नए आंगनवाड़ी केंद्रों में से 107 सक्रिय हैं, जो बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 20 उप-स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत हुए, जिनमें से 16 चालू हो चुके हैं.
संपर्क व्यवस्था भी बेहतर हुई है. जहां कभी मोबाइल नेटवर्क नहीं था, वहां अब 119 मोबाइल टावर लगाने की योजना है, जिनमें से 43 चालू हो गए हैं. 92 गांवों में रात को रोशनी के लिए हाई-मास्ट लाइटें लगाई गई हैं. सड़क-पुल परियोजनाओं में भी तेजी आई है, जिनमें से 26 कार्य पूरे हो चुके हैं.
दस्तावेज़ीकरण और सामाजिक योजनाओं का असर
आधार कार्ड के माध्यम से पहचान सुनिश्चित करने के लिए 70,954 कार्ड जारी किए गए हैं. आयु प्रमाण पत्र, मतदाता सूची, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड जैसे दस्तावेज़ भी व्यापक स्तर पर बांटे गए हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना से 5,984 परिवार लाभान्वित हुए हैं.
स्वच्छ भारत मिशन के तहत 6,460 घरेलू शौचालय बनाये गए हैं और उज्ज्वला योजना के तहत 18,983 महिलाओं को गैस कनेक्शन मिले हैं. 30 गांवों में डीटीएच कनेक्शन देकर डिजिटल कनेक्टिविटी भी बढ़ाई गई है.
नक्सल क्षेत्र से विकास की दिशा में बस्तर
यह सब दर्शाता है कि बस्तर अब केवल संघर्ष का नाम नहीं, बल्कि विकास और प्रगति का उदाहरण बनता जा रहा है. नियद नेल्लानार योजना ने वहां के लोगों को नई उम्मीदें दी हैं और भविष्य के लिए एक बेहतर रास्ता खोल दिया है. बस्तर अब बदलाव की मिसाल है, जहां कभी केवल जंगल और संघर्ष थे, आज वहीं विकास की नई इबारत लिखी जा रही है.
ये भी पढ़ें- मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हुए पीएम मोदी, विपक्षी पार्टियों के नेताओं से भी मिले