NATO vs SCO: दुनिया की राजनीति और सुरक्षा की बात हो और NATO और SCO का ज़िक्र न आए, ऐसा मुश्किल है. ये दोनों संगठन अपने-अपने तरीके से वैश्विक संतुलन बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन सवाल ये है, कौन है ज़्यादा प्रभावशाली और ताकतवर?
इस लेख में हम NATO और SCO दोनों की ताकत, उद्देश्य, सदस्यता और सामरिक क्षमता की तुलना करेंगे.
NATO: एकजुटता में ताकत
स्थापना: 1949
मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम
सदस्य देश: 30 (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देश शामिल)
मुख्य उद्देश्य: सामूहिक सुरक्षा (Article 5)
NATO यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन एक ऐसा सैन्य गठबंधन है, जो किसी एक सदस्य देश पर हमले को सभी देशों पर हमला मानता है. इसकी सबसे बड़ी ताकत है, संगठित नेतृत्व, अमेरिका की सैन्य शक्ति और अत्याधुनिक हथियार.
NATO का कोई स्थायी सैन्य बल नहीं है, लेकिन इसके सदस्य देशों की संयुक्त सेनाएं दुनिया की सबसे बड़ी युद्धक क्षमता रखती हैं. यह न सिर्फ पारंपरिक युद्ध, बल्कि साइबर, स्पेस और न्यूक्लियर डोमेन में भी अग्रणी है.
SCO: उभरती ताकत, लेकिन सीमाओं के साथ
स्थापना: 2001
सदस्य देश: 10 (चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, ईरान, आदि)
मुख्य उद्देश्य: क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध, आर्थिक सहयोग
SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी पकड़ मध्य एशिया से लेकर दक्षिण एशिया और पूर्वी यूरोप तक फैली है. इसके सदस्य देशों में दुनिया की 40% आबादी रहती है और यह 30% वैश्विक GDP को प्रभावित करता है.
हालांकि SCO के पास भी परमाणु शक्तियाँ हैं (जैसे रूस, चीन, भारत), लेकिन इसकी सैन्य साझेदारी NATO जैसी ठोस और संगठित नहीं है. इसका फोकस ज़्यादा अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा पर होता है, बजाय सामूहिक सैन्य कार्रवाई के.
किसके पास है ज़्यादा ताकत?
NATO:
सबसे बड़ा रक्षा बजट (दुनिया का 70%)
अमेरिका की अत्याधुनिक तकनीक और न्यूक्लियर पावर
एकजुट कमांड सिस्टम और अनुशासन
वैश्विक सैन्य और राजनीतिक प्रभाव
SCO:
विशाल जनसंख्या और क्षेत्रीय पकड़
चीन और रूस जैसी शक्तियों की मौजूदगी
क्षेत्रीय आतंकवाद के खिलाफ सहयोग
आर्थिक और रणनीतिक गठजोड़
हालांकि SCO धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, लेकिन सदस्य देशों के आपसी मतभेद (जैसे भारत-पाकिस्तान) इसे एकजुट संगठन नहीं बनने देते.
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