राजनीतिक अस्थिरता और जनआंदोलनों से जूझते नेपाल में अब एक नई शुरुआत की ओर कदम बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. देश में चल रहे हालिया जनआंदोलनों के बाद अब पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंपे जाने की तैयारी है. उन्होंने इस जिम्मेदारी को स्वीकार कर लिया है और जल्द ही वे नेपाल की अगुवाई करती नजर आएंगी.
सुशीला कार्की ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वह इस भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार हैं और यह जिम्मेदारी उन्हें जनता के विश्वास के कारण मिली है. खास तौर पर मौजूदा आंदोलन को नेतृत्व दे रहे Gen-Z ग्रुप ने उनके नेतृत्व पर भरोसा जताया है. कार्की ने साफ कहा कि भले ही उनका कार्यकाल सीमित हो, लेकिन वह ईमानदारी से देश को स्थिरता की ओर ले जाने का प्रयास करेंगी.
प्रदर्शनों में मारे गए लोगों को प्राथमिकता
कार्की ने कहा कि उनकी सबसे पहली प्राथमिकता उन परिवारों की मदद करना होगी, जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान अपनों को खोया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बनने के तुरंत बाद ऐसे लोगों के लिए न्याय और सहायता की व्यवस्था की जाएगी, ताकि उनका दर्द कम किया जा सके.
भारत और प्रधानमंत्री मोदी की सराहना
भारत के साथ संबंधों को लेकर कार्की ने खुले शब्दों में समर्थन जताया. उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा नेपाल का साथ दिया है और उन्हें भारत से विशेष स्नेह है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, “मोदी जी की कार्यशैली मुझे बहुत प्रेरित करती है. मैं उन्हें नमस्कार करती हूं.” कार्की ने भारत की भूमिका को नेपाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया और विश्वास जताया कि आगे भी यह सहयोग बना रहेगा.
राजनीतिक अस्थिरता से विकास की ओर बढ़ता नेपाल
नेपाल का राजनीतिक इतिहास अस्थिरता से भरा रहा है. बार-बार सरकारें बदलने और आंतरिक संघर्षों ने देश की प्रगति को बाधित किया है. सुशीला कार्की का मानना है कि अब समय आ गया है जब नेपाल को एक नई दिशा दी जाए. उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति बेहद जटिल है, लेकिन हम मिलकर इसे बदल सकते हैं और एक नया नेपाल बना सकते हैं.
न्यायपालिका से राजनीति तक का सफर
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रही हैं. 2016 में इस पद को संभालते समय उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए. हालांकि, उस दौरान सरकार के कार्यों में दखल देने के आरोपों के चलते उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए उन्हें राहत दी थी.
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