पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. इस हमले का जवाब भारत ने न सिर्फ कड़े शब्दों में दिया, बल्कि ठोस कूटनीतिक कदम भी उठाया है. भारत सरकार ने 1960 में हुई सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया है. यह वही संधि है जिसके तहत पाकिस्तान को तीन प्रमुख नदियों—झेलम, चिनाब और सिंधु—का पानी मिलता रहा है.
भारत के फैसले से पाकिस्तान में मची अफरा-तफरी
भारत के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान में खलबली मची हुई है. जल संकट की आशंका ने पाकिस्तानी मीडिया और हुकूमत को बेचैन कर दिया है. पाकिस्तान की ओर से इस मुद्दे पर लगातार चेतावनी और धमकी भरे बयान आ रहे हैं. लेकिन इसी बीच, पाकिस्तान के एक वरिष्ठ विश्लेषक मोइन पीरजादा ने अपने ही देश के मीडिया और नेतृत्व की सोच पर सवाल उठाते हुए कड़वी सच्चाई सामने रख दी है.
“मीडिया ख्वाबों की दुनिया में जी रहा है” – मोइन पीरजादा
पीरजादा ने साफ कहा कि पाकिस्तान का मीडिया और आम जनमानस अव्यावहारिक कल्पनाओं में जी रहा है. उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में बताया कि कुछ लोग यह सोच रहे हैं कि पाकिस्तानी एयरफोर्स भारत के बांधों पर हमला कर पानी "आज़ाद" करा लेगी. उन्होंने इसे बेहद हास्यास्पद और अव्यवहारिक सोच बताया.
उनका कहना है कि असलियत यह है कि पाकिस्तान की स्थिति इतनी कमजोर है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के खिलाफ अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख सकता. न उनके पास सक्षम लीगल टीम है और न ही इतनी आर्थिक ताकत कि वे अंतरराष्ट्रीय कानूनी लड़ाई लड़ सकें.
“जनरल मोदी से माफी मांगेंगे”
पीरजादा ने यह भी भविष्यवाणी की कि आने वाले समय में पाकिस्तान के सैन्य जनरल और उनके समर्थक भारत की सरकार से माफी मांगने को मजबूर होंगे. उन्होंने कहा, “ये वही लोग हैं जो जल्द ही नरेंद्र मोदी के आगे नाक रगड़ते हुए कहेंगे कि सिंधु जल संधि को दोबारा बहाल कर दीजिए, हमसे भूल हो गई.”
“झूठी कहानियों से लोगों को बहलाया जाएगा”
अपने विश्लेषण में पीरजादा ने यह भी कहा कि जब तक पाकिस्तान इस हालात को स्वीकार नहीं करता, तब तक वहां के लोगों को झूठी कहानियों से बहलाया जाएगा. लेकिन, अंततः उन्हें सच्चाई का सामना करना ही पड़ेगा, और भारत का फैसला पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होगा.
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