मुनीर की पाकिस्तान में हुई भारी बेइज्जती! 'हिलाल-ए-जुर्रत' मिलने पर लोगों ने बता दी असलियत, जानें पूरा मामला

    Asim Munir Troll Army Medal: देश की जनता महंगाई, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही हो, और सेना का प्रमुख खुद को पदक पहना रहा हो, ये कोई स्क्रिप्टेड सियासी ड्रामा नहीं, बल्कि आज का पाकिस्तान है.

    Munir humiliated in Pakistan Hilal-e-Jurat people told the truth know the whole matter
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    Asim Munir Troll Army Medal: देश की जनता महंगाई, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही हो, और सेना का प्रमुख खुद को पदक पहना रहा हो, ये कोई स्क्रिप्टेड सियासी ड्रामा नहीं, बल्कि आज का पाकिस्तान है. 7-10 मई के बीच भारत के साथ सीमा पर हुए सैन्य संघर्ष में करारी हार के बावजूद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को ‘हिलाल-ए-जुर्रत’ जैसे बड़े सैन्य सम्मान से नवाज़ा गया है.

    खास बात यह है कि ये पुरस्कार स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) के अवसर पर दिया गया, एक ऐसा दिन, जब देश अपने नायकों को याद करता है. लेकिन यहां 'नायक' वही बना जो असल में पराजय का पर्याय बन गया.

    'खुद को ही इनाम दे दिया!' 

    पाकिस्तानी जनता इस फैसले से न सिर्फ हैरान है, बल्कि गुस्से और मज़ाक के मिले-जुले मीम्स से सोशल मीडिया को भर चुकी है. एक यूजर ने लिखा, "ये तोहफा हमने खुद को दिया है." वहीं किसी ने असीम मुनीर की तस्वीर पर कैप्शन चिपका दिया, "युद्ध में बुरी तरह हारने पर ये ट्रॉफी मिलती है, बधाई हो!" एक और यूजर ने तो यहां तक लिख दिया कि मुनीर अब ‘How to lose to Indian Army’ पर पीएचडी करने जा रहे हैं. कई लोगों ने इस सम्मान को 'सेना के जेल से बाहर निकलने वाले कार्ड' जैसा बताया—जिसे कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा.

    असल ताक़त अब सेना के हाथ में?

    विश्लेषक मानते हैं कि पाकिस्तान की मौजूदा सियासत में असली ताकत अब सेना के हाथ में है. जनरल असीम मुनीर का खुद को फील्ड मार्शल की पदवी दिलवाना और अब यह सैन्य सम्मान हासिल करना, इस बात का सबूत है कि वह सिर्फ सेना प्रमुख नहीं, बल्कि 'सियासत के सरताज' भी बन चुके हैं. जनता की नजर में यह एक खतरनाक संकेत है. जब पदक ‘परफॉर्मेंस’ नहीं बल्कि ‘पावर’ पर आधारित होने लगें, तो यह लोकतंत्र नहीं, तमाशा बन जाता है.

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