डिजिटल अरेस्ट, वर्चुअल सुनवाई.. जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम लेकर साइबर फ्रॉड, महिला से ठगे लिए 3.75 करोड़

    मुंबई से एक हैरान कर देने वाली ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला से खुद को 'जस्टिस चंद्रचूड़' बताने वाले ठग ने वर्चुअल सुनवाई के नाम पर करोड़ों रुपये ऐंठ लिए.

    Mumbai woman falls victim to cyber fraud of over Rs 3 crores
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    मुंबई से एक हैरान कर देने वाली ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला से खुद को 'जस्टिस चंद्रचूड़' बताने वाले ठग ने वर्चुअल सुनवाई के नाम पर करोड़ों रुपये ऐंठ लिए. इस घटना ने साइबर ठगी के नए तरीकों को उजागर किया है, जहां ठगों ने महिलाओं को डराकर और जमानत दिलाने का झांसा देकर उनके साथ धोखाधड़ी की. इस मामले में आरोपी को सूरत से गिरफ्तार किया गया है और पुलिस जांच में जुटी हुई है.

    ऑनलाइन ठगी का तरीका

    ठग ने महिला को मनी लॉन्ड्रिंग के एक कथित मामले में फंसाने की धमकी दी. आरोपी ने महिला से वर्चुअल सुनवाई के दौरान जमानत दिलाने का झांसा दिया और इसके बाद उसे अपनी संपत्ति और निवेश से जुड़े दस्तावेजों की मांग की. महिला ने खुद को निर्दोष बताया, बावजूद इसके उसे अपने बैंक खातों और निवेश के सभी दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया.

    3.75 करोड़ रुपये की ठगी

    इस ठगी का मामला तब सामने आया जब महिला ने 3.75 करोड़ रुपये की राशि अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की, जिसे ठगों ने यह कहकर लिया था कि यह रकम ऑडिट के बाद वापस कर दी जाएगी. लेकिन जब महिला को पैसे वापस नहीं मिले, तो उसने पुलिस में शिकायत की. मुंबई पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की और 46 वर्षीय आरोपी जितेंद्र बियानी को सूरत से गिरफ्तार किया.

    'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर और ठगी

    पूछताछ में पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपी ने एक अन्य महिला से भी 1.1 करोड़ रुपये की ठगी की थी. आरोपी ने उसे सात दिनों तक "डिजिटल अरेस्ट" में रखा और पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी बनकर नकली दस्तावेज और गिरफ्तारी वारंट भेजे. यह मामला भी दर्शाता है कि ठगों का नेटवर्क कितना जटिल हो सकता है और वे किस तरह से लोगों को फंसाने के लिए नये-नये तरीके अपनाते हैं.

    साइबर अपराधियों से सावधान रहें: पुलिस की अपील

    मुंबई पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल, वीडियो कॉल या संदेश पर भरोसा न करें. पुलिस ने कहा कि भारतीय कानून में 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी कोई प्रक्रिया नहीं है, और यदि कोई व्यक्ति इस तरह की धमकियों का सामना करता है, तो उसे तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा, पुलिस ने लोगों से यह भी अपील की है कि वे बिना सत्यापन के अपनी व्यक्तिगत या बैंक संबंधी जानकारी किसी के साथ साझा न करें.

    साइबर ठगी से बचाव के उपाय

    साइबर ठगी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 'I4C डेटाबेस' और 'सस्पेक्ट सर्च' जैसी सुविधाओं की शुरुआत की है. इसके जरिए संदिग्ध नंबरों, ईमेल आईडी और यूपीआई पहचान की जांच की जा सकती है. इसके अलावा, साइबर ठगी के मामलों में तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने या 1930 हेल्पलाइन पर संपर्क करने की सलाह दी गई है.

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