डिजिटल दौर में जहां तकनीक ने जिंदगी आसान बनाई है, वहीं ऑनलाइन ठगों ने नए-नए हथकंडे अपनाकर लोगों को डर और भ्रम के जाल में फंसाना शुरू कर दिया है. मुंबई के विलेपार्ले इलाके में रहने वाले 73 वर्षीय एक वरिष्ठ डॉक्टर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, लेकिन इस बार साइबर ठगों की चाल को मुंबई पुलिस की 1930 साइबर हेल्पलाइन टीम ने नाकाम कर दिया.
डॉक्टर साहब को कुछ अज्ञात लोगों ने वीडियो कॉल कर खुद को TRAI अधिकारी, पुलिसकर्मी और जज बताते हुए धमकाया कि उनका बैंक खाता नरेश गोयल केस से जुड़ा हुआ है और जल्द ही उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” किया जाएगा. इस डर और भ्रम में आकर डॉक्टर ने 2 जून से 4 जून 2025 के बीच कुल 2.89 करोड़ रुपये पांच अलग-अलग ट्रांजैक्शनों के जरिए ठगों को ट्रांसफर कर दिए.
1930 हेल्पलाइन की तत्परता से हुआ टला बड़ा नुकसान
डॉक्टर ने 4 जून को जैसे ही 1930 हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवाई, मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच की टीम हरकत में आ गई. पुलिस उपनिरीक्षक मंगेश भोर और उनकी टीम—जिसमें निवृत्ती बावस्कर, अभिजीत राऊळ, किरण पाटील, मीनल राणे और सोनाली काकड शामिल थे—ने तेजी से NCRP पोर्टल पर केस दर्ज कर संबंधित बैंकों से संपर्क कर खातों को फ्रीज करा दिया. पुलिस की इस तत्परता से ठगों द्वारा उड़ाई गई 2.89 करोड़ की रकम में से 1.29 करोड़ रुपये रिकवर कर लिए गए.
मुंबई पुलिस की जनता से अपील
मुंबई पुलिस ने इस केस को उदाहरण बनाकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है.
"डिजिटल अरेस्ट" जैसी कोई कानूनी व्यवस्था भारत में मौजूद नहीं है.
कोई सरकारी संस्था वीडियो कॉल पर न गिरफ्तारी करती है, न ही डराने-धमकाने का काम करती है.
अगर किसी कॉल या संदेश में ड्रग्स, पार्सल, बैंक फ्रॉड या गिरफ्तारी की बात हो, तो घबराएं नहीं—पहले पुष्टि करें और फिर प्रतिक्रिया दें.
ऐसी किसी भी स्थिति में तुरंत 1930 पर कॉल करें या 7715004444 / 7400086666 पर संपर्क करें.
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