तकनीक का सहारा: अब मोबाइल ऐप से सुनी जा सकेगी अजान, मुंबई की मस्जिदों ने उठाया आधुनिक कदम

    शहर में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगी सख्ती के बीच अब मस्जिदें परंपराओं को कायम रखने के लिए डिजिटल नवाचार की ओर बढ़ रही हैं. 'ऑनलाइन अजान' नामक एक मोबाइल ऐप के जरिए अब अजान का सीधा प्रसारण नमाजियों के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराया जा रहा है.

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    शहर में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगी सख्ती के बीच अब मस्जिदें परंपराओं को कायम रखने के लिए डिजिटल नवाचार की ओर बढ़ रही हैं. 'ऑनलाइन अजान' नामक एक मोबाइल ऐप के जरिए अब अजान का सीधा प्रसारण नमाजियों के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराया जा रहा है. यह कदम मुंबई की छह मस्जिदों ने उठाया है, जो अब लाउडस्पीकर के विकल्प के रूप में इस ऐप का उपयोग कर रही हैं.

    क्या है 'ऑनलाइन अजान' ऐप और क्यों जरूरी हुआ इसका इस्तेमाल?

    माहिम की प्रसिद्ध जुमा मस्जिद के मुतवल्ली फहाद खलील पठान ने जानकारी दी कि लाउडस्पीकर से अजान देने पर कानूनी और सामाजिक पाबंदियों को ध्यान में रखते हुए यह ऐप मस्जिदों और नमाजियों के बीच एक डिजिटल पुल बन गया है. ऐप उस समय अजान का ऑडियो प्ले करता है जब मस्जिद में अजान दी जाती है, जिससे लोग घर बैठे भी निर्धारित समय पर अजान सुन सकते हैं.

    लाउडस्पीकर विवाद बना वजह

    पठान ने बताया कि पुलिस की चेतावनी के बाद जुमा मस्जिद ने स्वेच्छा से लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद कर दिया. साथ ही कहा, "हमने टकराव की बजाय तकनीकी समाधान को चुना." रमजान जैसे विशेष समय में या जब ध्वनि सीमाएं लागू हों, तब यह ऐप बुज़ुर्गों और दूर रहने वाले नमाजियों के लिए खास मददगार साबित हो रहा है.

    ऐप का तकनीकी विकास और पहुंच

    यह ऐप तमिलनाडु के तिरुनेलवेली की एक आईटी कंपनी ने विकसित किया है. फिलहाल यह एंड्रॉइड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है. ऐप के जरिए सीधे अजान का ऑडियो प्रसारण होता है, जिसमें मस्जिदों के समय के अनुसार अलर्ट और ऑटो-प्ले फीचर है. अभी तक मुंबई की 6 मस्जिदें और तमिलनाडु की 250 से अधिक मस्जिदें इस ऐप से पंजीकृत हो चुकी हैं.

    तीन दिन में 500 लोग जुड़े

    फहाद पठान ने बताया कि सिर्फ तीन दिनों में ही माहिम इलाके की जुमा मस्जिद से 500 से अधिक लोगों ने ऐप पर पंजीकरण किया है. इससे साफ है कि मुस्लिम समुदाय तकनीक को अपनाकर धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने के लिए उत्सुक है.

    लाउडस्पीकर पर नियम क्या कहते हैं

    मुंबई हाईकोर्ट ने लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध नहीं, बल्कि उसकी ध्वनि सीमा तय की है. दिन में अधिकतम 55 डेसिबल, रात में अधिकतम 45 डेसिबल, इसी दिशा-निर्देश का पालन करते हुए कुछ मस्जिदों ने बॉक्स स्पीकर का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.

    राजनीतिक प्रतिक्रिया और सराहना

    कांग्रेस के मुंबई महासचिव आसिफ फारूकी ने इस डिजिटल प्रयास की सराहना करते हुए कहा, "नमाज की पुकार जरूरी है, माध्यम नहीं. यह अच्छा है कि मस्जिदें नवाचार को अपना रही हैं."वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने दावा किया है कि उनके अभियान के चलते मुंबई में 1,500 लाउडस्पीकर अधिकारियों की अनुमति के बिना हटाए गए हैं.

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