Chirag Paswan Nalanda Rally: बिहार की सियासत में अब हर दिन हलचल बढ़ती जा रही है. चुनावी मौसम नजदीक है और सभी राजनीतिक दल ज़ोर शोर से जनसमर्थन जुटाने में लगे हैं. इसी क्रम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अब नीतीश कुमार के गृह ज़िले नालंदा की ओर बढ़ चुकी है. रविवार को राजगीर में पार्टी द्वारा आयोजित ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज़ है.
राजगीर में शक्ति प्रदर्शन को तैयार चिराग पासवान
पार्टी प्रमुख चिराग पासवान इस आयोजन के माध्यम से बहुजन वर्ग को एकजुट करने की मुहिम पर हैं. पार्टी का दावा है कि यह रैली इतिहास रचने वाली है, जिसमें लाखों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है. मंच तैयार है, जनसैलाब जुटाया जा चुका है और चिराग की टीम इसे बहुजन समाज के अधिकार और आत्मनिर्भर नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम मान रही है. पार्टी के सांसद अरुण भारती ने कहा, “अब बहुजन समाज नेतृत्व के लिए किसी और की ओर नहीं देखेगा. चिराग पासवान के नेतृत्व को सीमित करने की साज़िशों का जवाब इसी मंच से मिलेगा. अबकी बार नेतृत्व हमारा होगा.”
नीतीश के गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति?
इस आयोजन को चिराग पासवान की सियासी चाल के रूप में देखा जा रहा है, जो सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभाव क्षेत्र में अपनी पैठ जमाने की कोशिश है. राजनीतिक विश्लेषक इसे एलजेपी (रामविलास) की 'पावर पॉलिटिक्स' का हिस्सा मान रहे हैं. जहां दलित, पिछड़े और बहुजन मतदाताओं को एक नए नेतृत्व के विकल्प के रूप में चिराग सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं इस रैली को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो गई है. भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने इसे विपक्षी गठबंधन की कमजोरियों को उजागर करने वाला बताया और कहा कि यह समागम देश को मजबूत करने की दिशा में “मील का पत्थर” साबित होगा.
क्या कहती है सियासी जमीन?
चिराग पासवान की यह रणनीति साफ इशारा करती है कि वे नीतीश कुमार के वोटबेस को छिन्न-भिन्न करने की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रहे हैं. एक ओर जहां भाजपा के साथ उनकी नजदीकी राजनीतिक गठजोड़ की ओर इशारा करती है, वहीं बहुजन जनाधार को साधने की कोशिश उन्हें बिहार की राजनीति में नए समीकरणों का केंद्र बना सकती है.
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