भारत से विदेशों में पढ़ाई की दिशा में छात्रों का रुझान हर साल मजबूत होता जा रहा है. अब केवल उच्च शिक्षा ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में भारतीय परिवार स्कूल स्तर पर भी अपने बच्चों को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिलाने के लिए बाहर भेज रहे हैं. संसद के विंटर सेशन के दौरान विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा जारी किए गए नए आंकड़ों ने इस बदलाव को स्पष्ट रूप से उजागर किया है.
पहली बार मंत्रालय ने स्कूल-going विद्यार्थियों को भी डेटा में शामिल किया है. इससे यह समझना आसान हो गया है कि विश्व स्तर पर भारतीय छात्रों की गतिविधियां कितनी व्यापक हो चुकी हैं और भारतीय परिवार किस तरह वैश्विक शिक्षा के अवसरों को अपना रहे हैं.
2025 में छात्रों की संख्या 18.8 लाख के पार
MEA के आंकड़ों के अनुसार, 2025 तक विश्व के 153 देशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 18.8 लाख से अधिक हो गई है.
इनमें शामिल हैं:
पहली बार स्कूल छात्रों को डेटा में शामिल करने से यह संख्या और भी अधिक दिख रही है. यह वैश्विक स्तर पर भारतीयों की शिक्षा-गतिशीलता का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.
2024 की तुलना में यूनिवर्सिटी छात्रों में कमी
2024 में मंत्रालय ने दुनियाभर में लगभग 13.3 लाख भारतीय विश्वविद्यालय छात्रों का विवरण जारी किया था. 2025 में यह संख्या घटकर 12.54 लाख हो गई जो पिछले तीन वर्षों में पहली गिरावट है.
लेकिन कुल संख्या में फिर भी बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, क्योंकि अब पहली बार स्कूल स्तर के 6 लाख से ज्यादा बच्चे भी इसमें शामिल किए गए हैं.
भारतीय छात्रों के लिए सबसे पसंदीदा 3 देश
उच्च और स्कूल दोनों स्तरों को मिलाकर भारतीय छात्रों की सबसे बड़ी उपस्थिति इन देशों में है:
ये तीनों देश लगातार भारतीय विद्यार्थियों के शीर्ष विकल्प बने हुए हैं.
2025 में उच्च शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा भारतीय जिन देशों में गए
उच्च शिक्षा (UG PG प्रोफेशनल डिग्री):
ये देश विशेष रूप से मेडिकल, इंजीनियरिंग, बिजनेस और टेक्नोलॉजी प्रोग्राम्स के लिए भारतीय युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
स्कूल स्तर के आंकड़ों ने तस्वीर बदल दी
भारतीय स्कूली छात्र सबसे ज्यादा खाड़ी देशों में हैं, क्योंकि वहां भारतीय प्रवासी बड़ी संख्या में रहते हैं.
स्कूल स्तर पर भारतीय छात्रों की मौजूदगी:
इन देशों में कई भारतीय स्कूल मौजूद हैं, जिनकी वजह से भारतीय विद्यार्थियों की तादाद काफी अधिक है.
उच्च शिक्षा वाले छात्रों में गिरावट क्यों आई?
2024 की तुलना में उच्च शिक्षा के छात्रों की संख्या गिरने के पीछे कई वैश्विक कारण रहे:
1. भारत–कनाडा तनाव
2. अमेरिका में सुरक्षा और दस्तावेज़ जांच सख्त हुई
3. ब्रिटेन के कड़े नियम
4. ऑस्ट्रेलिया में खर्च बढ़ा
इसके बावजूद, कुल मिलाकर भारतीय छात्रों की वैश्विक उपस्थिति अभी भी बेहद मजबूत है और हर साल इसमें बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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