Modi's Global Gameplan BRICS & BEYOND: The JC Show का संपूर्ण विश्लेषण

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पांच देशों की आठ दिवसीय विदेश यात्रा ने फिर से यह स्थापित कर दिया कि भारत अब सिर्फ एक उभरती शक्ति नहीं, बल्कि दुनिया की टॉप टेबल पर बैठने वाला निर्णायक देश है. भारत 24 के विशेष कार्यक्रम "The JC Show" में भारत 24 और फर्स्ट इंडिया के एडिटर-इन-चीफ डॉ. जगदीश चंद्र ने इस यात्रा और उससे जुड़े राजनीतिक-सामरिक अर्थों पर विस्तार से बात की. 

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पांच देशों की आठ दिवसीय विदेश यात्रा ने फिर से यह स्थापित कर दिया कि भारत अब सिर्फ एक उभरती शक्ति नहीं, बल्कि दुनिया की टॉप टेबल पर बैठने वाला निर्णायक देश है. भारत 24 के विशेष कार्यक्रम "The JC Show" में भारत 24 और फर्स्ट इंडिया के एडिटर-इन-चीफ डॉ. जगदीश चंद्र ने इस यात्रा और उससे जुड़े राजनीतिक-सामरिक अर्थों पर विस्तार से बात की. 

    सवाल: 'Modi's Global Gameplan BRICS & BEYOND' इस हेडलाइन का मतलब क्या है?

    जवाब: इसका सीधा मतलब है कि पीएम मोदी की विदेश नीति अब सिर्फ सहयोग या कूटनीति तक सीमित नहीं है. वो पूरी दुनिया, खासकर ग्लोबल साउथ में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका तय कर रहे हैं. चीन की मोनोपॉली, पश्चिम की डोमिनेंस और आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों को चुनौती देना, यह सब पीएम मोदी के वैश्विक गेमप्लान का हिस्सा है. यह सिर्फ विदेशी सम्मान पाने की बात नहीं, 140 करोड़ भारतीयों के आत्मविश्वास की कहानी है. आज भारत ग्लोबल टेबल पर फैसले लेने वाली ताकत बन चुका है. पीएम मोदी की रणनीति यह है कि ब्रिक्स जैसे मंचों के ज़रिए भारत एक 'अल्टरनेटिव लीडरशिप' स्थापित करे, जो सिर्फ वेस्टर्न डॉमिनेंस की छाया में न चले बल्कि तर्क, मूल्य और मुद्दों के आधार पर अपनी अलग पहचान बनाए. यही कारण है कि ग्लोबल साउथ की लीडरशिप आज भारत की ओर देख रही है.

    सवाल: पीएम मोदी की इस पांच देशों की यात्रा का समग्र मूल्यांकन क्या है?

    जवाब: यह यात्रा अत्यधिक सफल रही. पीएम मोदी जिन भी देशों में गए, वहां उन्हें जबरदस्त मान-सम्मान मिला. चार देशों ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया. ब्राजील, अर्जेंटीना, घाना और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसी विविध संस्कृति और पृष्ठभूमि वाले देशों ने जिस तरह से पीएम मोदी का स्वागत किया, उसने यह साबित कर दिया कि भारत अब एक ग्लोबल ब्रांड है. इस यात्रा ने न केवल कूटनीतिक, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक लिहाज से भी भारत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. यह यात्रा भारत की 'सॉफ्ट पावर' और वैश्विक विश्वसनीयता का जीता-जागता प्रमाण है.

    सवाल: ब्राजील यात्रा की मुख्य उपलब्धियां क्या रहीं?

    जवाब: ब्राजील यात्रा पूरी तरह से ऐतिहासिक रही. पीएम मोदी को 114 घोड़ों की सलामी दी गई — ऐसा स्वागत शायद ही किसी भारतीय प्रधानमंत्री को कभी मिला हो. ब्राजील और भारत के रिश्ते स्वाभाविक साझेदारियों पर आधारित हैं, खासकर BRICS और ग्लोबल साउथ के परिपेक्ष्य में. ब्राजील के राष्ट्रपति और पीएम मोदी की केमिस्ट्री काफी गहरी है. दोनों नेताओं के स्वर मिलते हैं — चाहे वह वेस्ट के टैरिफ के खिलाफ़ बोलना हो या विकासशील देशों की आवाज़ को प्रमुखता देना. दोनों देशों ने $20 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य तय किया है, जो वर्तमान $12.2 अरब से कहीं अधिक है. MOU स्वास्थ्य, ऊर्जा, डिजिटल इकोनॉमी जैसे अहम क्षेत्रों में हुए. ब्राजील के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान भी दिया, जो इस दौरे की सबसे अहम उपलब्धियों में से एक है.

    सवाल: BRICS सम्मेलन में पीएम मोदी का फोकस किन मुद्दों पर था?

    जवाब: प्रधानमंत्री मोदी का फोकस चार मुख्य क्षेत्रों पर था:

    • आतंकवाद पर वैश्विक नीति: पीएम मोदी ने साफ़ कहा कि आतंकवाद पर कोई डबल स्टैंडर्ड नहीं हो सकता. दुनिया को 'Zero Tolerance on Terror' की नीति अपनानी होगी. जो देश आतंकवाद को शह देते हैं, उन पर कार्रवाई ज़रूरी है.
    • ग्लोबल गवर्नेंस में सुधार: UNSC और WTO जैसे संस्थानों में 'ड्रास्टिक रिफॉर्म्स' की ज़रूरत है. पीएम मोदी ने कहा कि वर्तमान संरचना में विकासशील देशों की आवाज़ दब जाती है.
    • रेयर मिनरल्स पर चीन की मोनोपोली को तोड़ना: पीएम मोदी ने दुनिया को यह समझाने की कोशिश की कि क्रिटिकल मिनरल्स किसी एक देश के हथियार नहीं बनने चाहिए. यह संसाधन मानवता के हैं, किसी देश की बपौती नहीं.
    • ग्लोबल साउथ का नेतृत्व: पीएम मोदी का अंतिम उद्देश्य है कि भारत एक नैतिक, तर्कसंगत और लोकतांत्रिक नेतृत्व के रूप में उभरे — जो न वर्चस्ववादी हो, न पाखंडी.

    सवाल: प्रधानमंत्री मोदी की अर्जेंटीना यात्रा को आप कैसे आंकते हैं?

    जवाब: यह यात्रा भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर रही. लगभग 57 वर्षों के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की अर्जेंटीना में ऐसी द्विपक्षीय बातचीत और समझौते हुए. अर्जेंटीना फुटबॉल प्रेमियों का देश है, वहां की जनता ने पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया. एक बच्चे को गोद में उठाते हुए उनका वीडियो वायरल हो गया. उन्हें शहर की चाबी भेंट की गई, जो वहां का एक सम्मानजनक प्रतीक है. ऊर्जा, स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी से जुड़े कई एमओयू साइन हुए. भारतवंशियों के लिए यह यात्रा भावनात्मक जुड़ाव की तरह रही.

    सवाल: घाना यात्रा में क्या विशेष रहा?

    जवाब: घाना, जिसे 'लैंड ऑफ गोल्ड' कहा जाता है, वहां पीएम मोदी का दौरा बेहद ऐतिहासिक रहा. भारतीय समुदाय ने जिस उत्साह से स्वागत किया, वह अभूतपूर्व था. स्थानीय मीडिया ने हेडलाइन दी: "पीएम मोदी शाइन्स ब्राइट इन लैंड ऑफ गोल्ड". यह सिर्फ सियासी नहीं, सांस्कृतिक और भावनात्मक सफलता थी. घाना में भारत की साख बढ़ी, खासकर हेल्थ और शिक्षा क्षेत्र में. उन्हें घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला — यह दर्शाता है कि अफ्रीका के राष्ट्र भारत को आज किस नज़र से देख रहे हैं.

    सवाल: त्रिनिदाद और टोबैगो में पीएम मोदी का स्वागत कैसा रहा?

    जवाब: त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय मूल की बड़ी आबादी है, और पीएम मोदी को वहां अपने लोगों जैसा सम्मान मिला. स्थानीय संसद में उनका स्वागत हुआ. उन्हें वहां का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ टीएंडटी' मिला. यह भारतवंशियों और भारत के रिश्ते को एक नई ऊंचाई पर ले गया. यह यात्रा भावनात्मक, ऐतिहासिक और रणनीतिक — तीनों स्तरों पर अहम रही.

    सवाल: अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर भारत का रुख क्या है?

    जवाब: भारत साफ है — कोई समझौता भारत के राष्ट्रीय हितों से ऊपर नहीं हो सकता. अमेरिका डेयरी और एग्रीकल्चर सेक्टर में घुसना चाहता है, जो भारत को मंज़ूर नहीं. पीएम मोदी सरकार ने 'स्वाभिमानी कूटनीति' अपनाई है. अगर समझौता भारत के लिए लाभदायक नहीं है, तो वो नहीं होगा. यही वजह है कि अब तक कोई फाइनल ट्रेड डील साइन नहीं हुई.

    सवाल: ट्रंप की धमकियों और टैरिफ नीति का क्या असर पड़ा?

    जवाब: ट्रंप बार-बार कहते हैं कि भारत और चीन से आने वाली चीजों पर 10% से लेकर 500% तक टैक्स लगा देंगे. ये बयान निवेशकों के लिए अस्थिरता पैदा करते हैं. ट्रंप अब एक 'विश्व शांति के लिए खतरा' बनते जा रहे हैं. उनके unpredictable व्यवहार ने ब्रिक्स देशों को वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए मजबूर कर दिया है.

    सवाल: एस. जयशंकर की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?

    जवाब: एस. जयशंकर इस समय भारत के सबसे प्रभावशाली विदेश मंत्रियों में से एक हैं. जयशंकर के पास नैतिक साहस है. उन्होंने अमेरिका को जवाब दिया, पाकिस्तान को चेतावनी दी और वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति को दृढ़ता से रखा. पीएम मोदी के नेतृत्व में जयशंकर में एक 'राजदूत से ज़्यादा रणनीतिकार' का रूप आ चुका है.

    सवाल: क्या BRICS अब अमेरिकी डॉलर को चुनौती दे सकता है?

    जवाब: हां, यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. BRICS देश एक वैकल्पिक करेंसी या ट्रांजैक्शन सिस्टम पर काम कर रहे हैं. उद्देश्य है डॉलर की मोनोपोली को बैलेंस करना. हालांकि यह लंबी प्रक्रिया है, लेकिन भारत जैसे देश इसे नैतिक, तकनीकी और कूटनीतिक समर्थन दे रहे हैं.

    सवाल: डिजिटल इंडिया और टेक्नोलॉजी को लेकर भारत की भूमिका कैसी रही?

    जवाब: पीएम मोदी ने डिजिटल डिप्लोमेसी और टेक्नोलॉजिकल सॉवरेनिटी को भारत की पहचान बना दिया है. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), जैसे UPI, CoWIN और डिजिलॉकर जैसी स्कीम्स ने भारत को टेक्नोलॉजी लीडर की कतार में खड़ा कर दिया है. अब अन्य देश भारत से सीखना चाहते हैं — ये भारत की सॉफ्ट पावर की जीत है. BRICS देशों ने भी भारत के मॉडल को अपनाने में रुचि दिखाई है.

    सवाल: ग्लोबल साउथ की नैतिक लीडरशिप के मामले में भारत कहां खड़ा है?

    जवाब: भारत आज ग्लोबल साउथ का 'मोरल कमांड सेंटर' बन चुका है. पीएम मोदी सिर्फ एक प्रधानमंत्री नहीं, अब एक ऐसे नेता हैं जो विश्व को एक नई दिशा देने का नैतिक साहस रखते हैं. वो साम्राज्यवादी रवैये के खिलाफ बोलते हैं, जलवायु न्याय की बात करते हैं, और संसाधनों के न्यायोचित वितरण की पैरवी करते हैं. यह सब दिखाता है कि भारत अब महज़ एक भागीदार नहीं, बल्कि नीति निर्धारण करने वाला देश है.

    सवाल: क्या चीन पाकिस्तान को भारत के खिलाफ सैन्य मदद देता है?

    जवाब: 2019 के बालाकोट स्ट्राइक के समय चीन ने पाकिस्तान को लाइव सैटेलाइट इमेजेज मुहैया कराई थीं. यह सिर्फ समर्थन नहीं, बल्कि रणनीतिक संलिप्तता है. चीन की यह भूमिका वैश्विक मंचों पर चिंता का विषय बन रही है, और भारत ने इसे हर बार खुलकर उठाया है. ये दिखाता है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की हरकतों के पीछे चीन की छाया लगातार बनी हुई है.

    सवाल: पीएम मोदी को अब तक 27 अंतरराष्ट्रीय नागरिक सम्मान मिले. इस बारे में आपकी राय

    जवाब: यह दिखाता है कि विश्व पीएम मोदी को सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि भारत के प्रतीक के रूप में देखता है. ये सम्मान दर्शाते हैं कि भारत की विदेश नीति, संस्कृति और नेतृत्व को अब वैश्विक स्तर पर सर्वोच्च दर्जा मिल रहा है. यह पहले कभी नहीं हुआ था.