पटनाः देश की सरहदों की रक्षा करते हुए सीवान, बिहार के रामबाबू प्रसाद सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दे दी. 28 वर्षीय इस वीर सपूत का पार्थिव शरीर जब पटना एयरपोर्ट पर पहुंचा, तो माहौल गमगीन हो गया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एयरपोर्ट पर पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी और परिजनों से संपर्क कर संवेदना प्रकट की.
शहादत की वो रात
12 मई की रात जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर तैनात रामबाबू सिंह एक पाकिस्तानी ड्रोन हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात 1 बजे, वे देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हो गए.
गांव में मातम, दिलों में गर्व
रामबाबू, गौतम बुद्ध नगर थाना क्षेत्र के वसिलपुर गांव के रहने वाले थे. उनके पिता स्वर्गीय रामविचार सिंह कभी पंचायत के उपमुखिया रहे थे. 14 दिसंबर 2024 को उन्होंने धनबाद की अंजली से शादी की थी, जो इस वक्त चार महीने की गर्भवती हैं. फिलहाल वो अपने मायके में थीं, लेकिन जैसे ही बुरी खबर की आहट मिली, उन्हें सीवान बुला लिया गया. हालांकि, शहादत की सूचना अभी तक मां और पत्नी को नहीं दी गई है—परिजन सिर्फ इतना कह पाए कि “रामबाबू की तबीयत खराब है, वो घर आ रहे हैं…”
वीरता की एक शांत कहानी
रामबाबू की तैनाती भारतीय सेना के अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम में थी. हाल ही में उनका ट्रांसफर उदयपुर किया गया था, लेकिन कश्मीर में बढ़ते तनाव के चलते उन्हें वहीं रोक लिया गया. उन्होंने 2018 में भारतीय सेना जॉइन की थी और तभी से देश सेवा को अपना धर्म बना लिया था.
उनके चाचा शशिकांत सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले हुई बातचीत में रामबाबू ने कहा था—
“चाचा, छुट्टी मिल गई है, जल्दी घर आने वाला हूं.”
किसे पता था कि अब वो सिर्फ तिरंगे में लिपटकर लौटेंगे.
तेजस्वी यादव का संदेश
शहीद की खबर मिलते ही तेजस्वी यादव ने रामबाबू के बड़े भाई अखिलेश सिंह से वीडियो कॉल पर बात की और कहा—
“रामबाबू सिंह पर सिर्फ बिहार नहीं, पूरा देश गर्व करता है. उन्होंने वो दिया है जो सबसे बड़ा होता है—अपना जीवन. पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है.”
परिवार में अब अधूरी सी खामोशी
पिता का साया पहले ही छिन चुका था, अब घर के सबसे छोटे बेटे की चुपचाप विदाई ने मां और बहू के जीवन में एक खालीपन भर दिया है. बड़ा भाई लोको पायलट है, और मां अक्सर बीमार रहती हैं. रामबाबू की शिक्षा स्नातक स्तर की थी, लेकिन उनके जीवन का लक्ष्य वर्दी पहनकर देश के लिए जीना था.
अब इंतज़ार अंतिम दर्शन का है
बुधवार दोपहर 3-4 बजे के बीच उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचने की संभावना है. जैसे ही शहादत की खबर गांव में फैली, वहां का माहौल मातमी हो गया. लोग एक झलक पाने को बेसब्र हैं, ताकि उस लाल को आखिरी सलामी दे सकें जिसने अपने आज को हमारे कल के लिए कुर्बान कर दिया.
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