मस्ती, मोहब्बत और इमोशन... दिल छू लेती है ‘मन्नू क्या करेगा’ की कहानी, देखने से पहले पढ़ें रिव्यू

    "मन्नू क्या करेगा" भी ऐसी ही एक फिल्म है. ये आपको ज़बरदस्ती पकड़ती नहीं, बल्कि धीरे-धीरे आपके दिल में उतरती है. एक सीधी-सादी लगने वाली कहानी कब आपकी अपनी कहानी बन जाती है, पता ही नहीं चलता. और यही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताक़त है, ये आपकी सोच बदल देती है, बिना शोर किए. 

    Mannu Kya Karegga movie Review sanjay tripathi Vyom Yadav Saachi Bindra
    Image Source: Social Media

    निर्देशक: संजय त्रिपाठी
    कलाकार: व्योम यादव, साची बिंद्रा, कुमुद मिश्रा, विनय पाठक, चारु शंकर, राजेश कुमार, बृजेंद्र काला, नमन गोर, आयत मेमन, डिंपल शर्मा, लवीना टंडन
    लेखक: सौरभ गुप्ता, राधिका मल्होत्रा
    अवधि: 141.35 मिनट
    रेटिंग:  (4/5)

    Mannu Kya Karegga Review: कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनसे दर्शकों को पहले से कोई बड़ी उम्मीद नहीं होती. आप सोचते हैं, "चलो देखते हैं, क्या खास है इसमें?" लेकिन फिल्म खत्म होते-होते आप थोड़े शांत, थोड़े सोच में डूबे, और दिल में हल्की-सी मुस्कान लिए थिएटर से बाहर निकलते हैं.

    "मन्नू क्या करेगा" भी ऐसी ही एक फिल्म है. ये आपको ज़बरदस्ती पकड़ती नहीं, बल्कि धीरे-धीरे आपके दिल में उतरती है. एक सीधी-सादी लगने वाली कहानी कब आपकी अपनी कहानी बन जाती है, पता ही नहीं चलता. और यही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताक़त है, ये आपकी सोच बदल देती है, बिना शोर किए. 

    कहानी है मानव चतुर्वेदी उर्फ मन्नू की (भू्मिका निभाई है व्योम यादव ने) एक कॉलेज का  लड़का जो देहरादून की वादियों में अपने दोस्तों और परिवार के साथ एक खुशहाल ज़िंदगी जी रहा है. मन्नू सबका चहेता है — उसकी हँसी, उसकी बातें, उसका दोस्ताना स्वभाव, सबको भाता है. लेकिन जितनी मुस्कान उसके चेहरे पर दिखती है, उतना ही बड़ा सवाल सबको सताता है कि आखिर मन्नू क्या करेगा?

    मन्नू को अपनी मंज़िल का कुछ अता-पता नहीं है. करियर की कोई ठोस योजना नहीं, पैशन क्या है, ये भी नहीं मालूम. और सबसे बड़ी बात — उसे इस बात का गहरा अफ़सोस या ग़ुस्सा भी नहीं है. 

    फिर उसकी ज़िंदगी में आती है जिया (साची बिंद्रा) — एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और खुले विचारों वाली लड़की. दोनों के बीच की दोस्ती जल्दी प्यार में बदलती है. उसके बाद आती है मुश्किलें जब जिया को लगता है मन्नू अपने भविष्य को लेकर सीरियस  नहीं है. ऐसे में मन्नू जिया से झूठ बोलता है कि उसका एक स्टार्टअप है जिसका नाम है 'नथिंग' . कब एक के बाद एक झूठ मन्नू को उसके ही जाल में फंसा देता है और फाइनली वह अपने पैशन को समझ पाता है. 

    संजय त्रिपाठी का निर्देशन इस फिल्म की रीढ़ है. उन्होंने एक ऐसी कहानी को परदे पर उतारा है जो न तो ड्रामेटिक है, न ही कॉमर्शियल फॉर्मूले के अनुसार है — लेकिन फिर भी फिल्म पूरी तरह बांधे रखती है. उन्होंने अपने किरदारों को वक्त दिया है — सोचने का, महसूस करने का, बदलने का. मन्नू का ट्रांज़िशन असरदार तरीके से दिखाया गया है.

    व्योम यादव, जो इस फिल्म से अपना डेब्यू कर रहे हैं, उन्होंने मन्नू के किरदार को बेहद गहराई से समझा और निभाया है. उनके चेहरे की मासूमियत, उलझन भरी आँखें और अपनेपन से भरी बॉडी लैंग्वेज — सब कुछ इतना नेचुरल है कि आपको लगेगा कि मन्नू कोई किरदार नहीं, शायद आपका कोई दोस्त है.

    साची बिंद्रा भी अपनी पहली फिल्म में जिया के किरदार में बेहद प्रभावशाली रही हैं. जिया का आत्मविश्वास, उसकी आज़ादी, और फिर उसका सेंसिटिव साइड — उन्होंने हर लेयर को बहुत सलीके से निभाया है. विनय पाठक एक छोटे लेकिन बेहद यादगार किरदार में हैं.  कुमुद मिश्रा, राजेश कुमार, चारु शंकर, बृजेंद्र काला, और बाकी सहायक कलाकारों ने अपने-अपने हिस्सों को बहुत ही प्रभावी ढंग से निभाया है.

    फिल्म की शूटिंग देहरादून और आसपास की हसीन वादियों में हुई है — लेकिन ये महज़ लोकेशन नहीं हैं, बल्कि फिल्म की कहानी का हिस्सा बन जाती हैं. कैमरे ने न सिर्फ खूबसूरत लोकेशन्स को दिखाया है, बल्कि वातावरण, अकेलापन, और आत्मचिंतन की भावनाओं को भी बखूबी दिखाया है. 

    फिल्म का म्यूज़िक एक बड़ी ताकत है. नौ गानों की एल्बम में हर गाना कुछ कहता है, कुछ महसूस कराता है.“मन्नू तेरा क्या होगा” — हल्के-फुल्के मूड में लेकिन गहरे अर्थों के साथ, मन्नू की मन:स्थिति को दर्शाता है. “हमनवा” और “फना हुआ” — दिल को छूने वाले गीत हैं जो प्यार और आत्म-खोज की भावना को उजागर करते हैं. “तेरी यादें” — वो गाना है जिसे सुनते हुए आप अपने बीते लम्हों को याद करेंगे. बैकग्राउंड म्यूज़िक बेहद सधा हुआ है. यह फिल्म के मूड को बहाव देता है.

    सौरभ गुप्ता और राधिका मल्होत्रा की लिखी स्क्रिप्ट काबिले तारीफ हैं. स्क्रीनप्ले पूरी तरह से टाइट है. किसी भी दृश्य में ज़बरदस्ती का ड्रामा नहीं है. कहानी का प्रवाह बहुत संतुलित है — फिल्म न तो धीमी लगती है, और न ही दौड़ती है. यह अपनी रफ्तार में आगे बढ़ती है और हर मोड़ पर दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है.

    यह उन लोगों की कहानी है जो सब कुछ ठीक होते हुए भी खोए हुए हैं क्योंकि इसमें वो सच्चाई है, जो हमें हमारी ही उलझनों का आईना दिखा सकती है. क्यूरियस ऑय फिल्म्स द्वारा निर्मित "मन्नू क्या करेगा" एक शांत, भावनात्मक और प्रेरणादायक अनुभव है. यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक एहसास है — एक आइना है, जिसमें शायद आप खुद को देख पाएंगे. इस फिल्म को मिस नहीं करना चाहिए.

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