Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 123वें संस्करण में देशवासियों से संवाद करते हुए एक बार फिर लोकतंत्र की ताकत, भारत की सांस्कृतिक विविधता और आम लोगों की असाधारण कहानियों को प्रमुखता दी. इस एपिसोड में उन्होंने आपातकाल की विभीषिका, बोरोलैंड की नई पहचान, ऐरी सिल्क की खासियत, और सामाजिक सेवा में जुटे नागरिकों का उल्लेख करते हुए एक प्रेरणादायक संदेश दिया.
आपातकाल: लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारत के लोकतंत्र के इतिहास में सबसे काले अध्यायों में से एक बताया. उन्होंने कहा कि उस समय अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल दिया गया था, मीडिया पर सेंसरशिप थोप दी गई थी और असंख्य नागरिकों को जेल में डाला गया था. लेकिन भारत की जनता नहीं झुकी. जब चुनाव हुआ तो उसी जनता ने आपातकाल लगाने वालों को सत्ता से बाहर कर दिया,” पीएम ने कहा. उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि हमेशा उन लोगों को याद रखें जिन्होंने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया.
संघर्ष से सपनों तक का सफर
प्रधानमंत्री ने असम के बोरोलैंड का जिक्र किया, जो कभी अलगाववाद और संघर्ष का केंद्र था. उन्होंने बताया कि आज वही क्षेत्र हजारों टीमों वाले फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कर रहा है, जो शांति और खेल भावना का प्रतीक बन गया है. यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि जब समाज मुख्यधारा से जुड़ता है, तो विकास और पहचान के नए रास्ते खुलते हैं.
परंपरा और प्रकृति का सुंदर मेल
‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने मेघालय के प्रसिद्ध ऐरी सिल्क की भी सराहना की. उन्होंने बताया कि यह सिल्क गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी देता है. इसकी खासियत यह है कि इसे बनाने के लिए रेशम के कीड़ों को मारा नहीं जाता, जिससे यह पर्यावरण और पशु कल्याण दोनों के लिए अनुकूल है. हाल ही में इसे GI टैग भी मिला है. पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वे एक बार जरूर ऐरी सिल्क का वस्त्र पहनकर इसका अनुभव लें, और स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें.
सिंदूर वन और पुणे की पहल
प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद नगर निगम द्वारा विकसित किए गए ‘सिंदूर वन’ का जिक्र किया, जो ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित किया गया है. इस वन में सिंदूर के पौधे लगाए गए हैं और यह देशभक्ति व पर्यावरण प्रेम का अनूठा उदाहरण है. साथ ही, उन्होंने पुणे के एक परिवार की भी प्रशंसा की जो हर रविवार जंगल में जाकर पौधे लगाते हैं और जल संरक्षण के लिए गड्ढे खोदते हैं. उनकी मेहनत से अब उस क्षेत्र में फिर से पक्षियों की चहचहाहट लौट आई है.
अंतरिक्ष से प्रेरणा: शुभांशु शुक्ला का जिक्र
कार्यक्रम के समापन में पीएम मोदी ने अंतरिक्ष मिशनों और उनमें योगदान देने वाले युवाओं की बात करते हुए शुभांशु शुक्ला जैसे नवाचारी युवाओं की सराहना की. उन्होंने कहा कि देश के युवा आज विज्ञान, तकनीक और नवाचार में विश्व मंच पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं.
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