पेरिस: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोप को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि आजादी को बनाए रखने के लिए केवल आदर्शों से काम नहीं चलेगा—अब डर पैदा करना भी जरूरी है. और डर पैदा करने के लिए, ताकतवर बनना ही पड़ेगा.
बैस्टिल डे से ठीक पहले फ्रांसीसी सैनिकों को संबोधित करते हुए मैक्रों ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार यूरोप की आज़ादी को इतना बड़ा खतरा महसूस हो रहा है—और इसके केंद्र में है रूस और उसकी आक्रामक नीतियां.
रूस और साइबर अटैक बने चिंता के मुख्य केंद्र
मैक्रों ने स्पष्ट किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने न सिर्फ पूर्वी यूरोप को, बल्कि पूरे महाद्वीप को अस्थिरता के कगार पर ला खड़ा किया है. इसके साथ ही साइबर क्राइम और न्यूक्लियर हथियारों की होड़ ने भी सुरक्षा पर नए खतरे खड़े किए हैं.
रक्षा बजट में ऐतिहासिक बढ़ोतरी का ऐलान
मैक्रों ने अपने संबोधन में कहा कि अगर यूरोप को सुरक्षित रखना है, तो फ्रांस को सबसे आगे रहना होगा. इस दिशा में उन्होंने 2026 में रक्षा बजट में 3.5 अरब यूरो और 2027 में 3 अरब यूरो की अतिरिक्त बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है.
उनका लक्ष्य है कि फ्रांस का डिफेंस बजट 2027 तक 64 अरब यूरो (करीब 5.76 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचे—जो कि 2017 के बजट से दोगुना होगा.
"यूक्रेन युद्ध यूरोप के लिए खतरा"- फ्रांसीसी सेना प्रमुख
फ्रांस के चीफ ऑफ डिफेंस थिएरी बर्कहार्ड ने कहा कि रूस अब फ्रांस को यूरोप में अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मान रहा है. उन्होंने चेताया कि यूक्रेन युद्ध कोई अस्थायी टकराव नहीं है—यह यूरोपीय सुरक्षा के लिए एक स्थायी संकट बन चुका है.
बैस्टिल डे: आजादी के प्रतीक का इतिहास
14 जुलाई, 1789—यह तारीख सिर्फ फ्रांस के लिए नहीं, बल्कि दुनियाभर में तानाशाही के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक बन चुकी है. इस दिन जनता ने बैस्टिल जेल पर धावा बोला था—जहां राजनीतिक विरोधियों को कैद रखा जाता था. ये घटना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत और राजशाही के अंत का प्रतीक बन गई.
परेड की परंपरा और उसका विराम
फ्रांस में हर साल 14 जुलाई को भव्य सैन्य परेड होती है—जिसमें राष्ट्रपति, सैन्य अधिकारी और हजारों नागरिक शामिल होते हैं.
इस साल की परेड में 6,300 से अधिक सैनिक मार्च करेंगे, जो फ्रांस की सैन्य शक्ति और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करेंगे.
ग्लोबल शक्ति संघर्ष और फ्रांस की भूमिका
मैक्रों ने अमेरिका, ईरान, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, और न्यूक्लियर हथियारों की बढ़ती दौड़ का भी जिक्र किया. उन्होंने संकेत दिया कि एक बहुध्रुवीय दुनिया में फ्रांस की जिम्मेदारी सिर्फ एक यूरोपीय ताकत बनने तक सीमित नहीं है—बल्कि वैश्विक स्थिरता में भागीदारी की भी है.
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