पाकिस्तानी सेना के समर्थन में लश्कर के आतंकियों ने निकाली रैली, कराची में भारत के खिलाफ उगले जहर

    पाकिस्तान में एक बार फिर भारत विरोधी उन्माद और आतंकियों के साथ राज्यसत्ता की साठगांठ का शर्मनाक चेहरा सामने आया है.

    Lashkar terrorists held a rally in support of Pakistani army
    Image Source: Social Media

    इस्लामाबाद: पाकिस्तान में एक बार फिर भारत विरोधी उन्माद और आतंकियों के साथ राज्यसत्ता की साठगांठ का शर्मनाक चेहरा सामने आया है. कराची में 12 मई को ‘दिफा-ए-वतन काउंसिल’ (DWC) के बैनर तले एक बड़ी रैली का आयोजन हुआ, जिसमें न केवल भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए, बल्कि खुले तौर पर आतंकवादियों की हिमायत भी की गई.

    इस रैली में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और अहले सुन्नत वल जमात (ASWJ) जैसे कट्टरपंथी संगठनों के सदस्य शामिल हुए — जो कि वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन घोषित हैं. रैली का आयोजन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान की अगुआई में किया गया.

    'दिफा-ए-वतन रैली'

    रैली के मंच से कट्टरपंथी मौलवियों और राजनीतिक नेताओं ने बार-बार भारत को चेतावनी दी. सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि इस्लामिक कट्टरवाद को सैन्य अभियान का औचित्य बताया गया और इसे ‘जिहाद’ के रूप में प्रचारित किया गया.

    मौलाना तारिक मसूद, जो पाकिस्तान में एक जाना-माना धार्मिक चेहरा माने जाते हैं, ने सेना को धर्मनिरपेक्ष कहने वालों को “गद्दार” कहा और जोर देकर कहा कि, "हमारी सेना सेक्युलर नहीं है, बल्कि एक मजहबी सेना है जो अल्लाह के नाम पर शहादत देने को तैयार रहती है."

    'राफेल और S-400 गिराने' का फर्जी दावा

    JUI-F (सिंध) के महासचिव अल्लामा राशिद महमूद ने मंच से ऐसे बयान दिए जो न केवल भड़काऊ थे, बल्कि पूरी तरह से प्रोपेगेंडा आधारित और तथ्यहीन थे. उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने:

    • फ्रांस के राफेल फाइटर जेट को मार गिराया.
    • रूस के S-400 डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया.
    • यहां तक कहा कि इजराइली ड्रोनों को मार गिराकर उन्हें सबक सिखाया गया.

    इन दावों का कोई भी अंतरराष्ट्रीय या तकनीकी प्रमाण नहीं है, और इन्हें महज एक भ्रामक प्रचार के रूप में देखा जा रहा है.

    भारत के खिलाफ युद्ध का ऐलान

    रैली में कई मौलवियों और धर्मगुरुओं ने भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला. युद्ध को मजहबी रंग दिया गया और इसे ‘इस्लाम बनाम काफिरों’ की लड़ाई के रूप में परोसा गया. यह एक बार फिर बताता है कि पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन कैसे धार्मिक भावनाओं को हथियार बनाकर अपने आतंकी एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं.

    कैमरे में कैद हुआ 'जनाजा-जिहाद'

    पिछले कुछ वर्षों से भारत बार-बार पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने के आरोप लगाता रहा है. इस रैली के बाद ये आरोप और मजबूत हो गए हैं.

    हाल ही में सामने आए एक वीडियो फुटेज में देखा गया कि पाकिस्तानी सेना और राजनेताओं के सीनियर अधिकारी लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अब्दुल रऊफ के जनाजे की नमाज़ में शामिल हुए थे. इसमें जिन चेहरों की पहचान हुई है, वे हैं:

    • लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन
    • मेजर जनरल राव इमरान सरताज
    • मेजर जनरल मोहम्मद फुरकान शब्बीर
    • IG पंजाब पुलिस डॉक्टर उस्मान अनवर
    • सांसद मलिक अहमद

    इससे एक बार फिर साबित हुआ कि पाकिस्तानी सेना और राजनीतिक वर्ग सीधे तौर पर आतंकी संगठनों के साथ खड़े हैं.

    पहलगाम हमला और भारत की कार्रवाई

    इस रैली का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में लश्कर आतंकियों ने 26 निर्दोष टूरिस्टों की निर्ममता से हत्या की थी. हमलावरों ने पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछकर उनकी हत्या की थी, जोकि मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध है.

    • इस हमले के 15 दिन बाद, भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और PoK में एयर स्ट्राइक की.
    • इस अभियान में 25 मिनट के भीतर 9 आतंकी लॉन्चपैड्स को तबाह किया गया.
    • 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई.

    अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर सवाल

    पाकिस्तान की धरती पर खुलेआम आतंकी संगठनों का समर्थन, रैलियां और सेना के सहयोग से जनाजे की नमाज जैसी घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी बेहद चिंताजनक है. यह न केवल दक्षिण एशिया की सुरक्षा बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरा पैदा करता है.

    भारत ने संयुक्त राष्ट्र और FATF जैसी संस्थाओं से बार-बार मांग की है कि पाकिस्तान को आतंकी देशों की ग्रे लिस्ट में बनाए रखा जाए और उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएं.

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