IPL: IPL 2025 के लीग स्टेज के अंत की ओर बढ़ते हुए, कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और इसके CEO वेंकी मैसूर ने IPL गवर्निंग काउंसिल पर नियमों में अचानक और असंगत बदलाव को लेकर सवाल उठाए हैं.
मुद्दा है- बारिश की स्थिति में मैच पूरा कराने के लिए अतिरिक्त समय देने का. अब तक मैच को बचाने के लिए सिर्फ 60 मिनट का रिजर्व टाइम था, लेकिन IPL ने इसे 120 मिनट कर दिया है—मगर 20 मई से.
KKR का कहना है, "अगर यह नियम 17 मई को दोबारा शुरू हुए पहले ही मैच से लागू होता, तो चीजें हमारे लिए अलग हो सकती थीं."
क्या है विवाद की जड़?
IPL के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हेमांग अमीन ने 20 मई को सभी 10 फ्रेंचाइज़ियों को एक ईमेल भेजा, जिसमें बताया गया कि अब बारिश या खराब मौसम की स्थिति में लीग मैचों के लिए 120 मिनट का अतिरिक्त समय मिलेगा. पहले यह केवल 60 मिनट था और 120 मिनट सिर्फ प्लेऑफ मैचों के लिए निर्धारित था.
KKR ने इस फैसले पर यह कहते हुए आपत्ति जताई है कि नियम में यह बदलाव यदि 17 मई से लागू होता, तो उनके लिए टूर्नामेंट की दिशा कुछ और हो सकती थी.
RCB vs KKR मैच बना विवाद
IPL सीज़न के दौरान भारत-पाक सीमा पर तनाव के कारण टूर्नामेंट को 9 मई को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया था. इसके बाद IPL 17 मई से फिर शुरू हुआ और पहला मैच बेंगलुरु में RCB और KKR के बीच था.
लेकिन दुर्भाग्यवश, यह मैच बारिश की भेंट चढ़ गया और बिना एक भी गेंद फेंके रद्द हो गया. दोनों टीमों को 1-1 अंक दिए गए, जिससे KKR की प्लेऑफ की संभावनाएं खत्म हो गईं.
KKR CEO का IPL को दो टूक जवाब
KKR के CEO वेंकी मैसूर ने IPL COO को भेजे ईमेल में तीखा लेकिन संतुलित विरोध दर्ज कराया. मैसूर ने कहा, "हम समझते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार नियमों में बदलाव जरूरी हो सकता है, लेकिन इन बदलावों को लागू करने में एकरूपता और समय की समझ जरूरी है. यह स्पष्ट था कि 17 मई को बारिश का पूर्वानुमान था, फिर भी पुराने नियमों के तहत मैच रद्द कर दिया गया."
उन्होंने कहा, "अगर दो घंटे का रिजर्व टाइम तब मौजूद होता, तो कम से कम 5-5 ओवर का मुकाबला कराया जा सकता था और शायद परिणाम भी आता."
क्या IPL का फैसला एकतरफा था?
KKR का तर्क है कि जब IPL फिर से शुरू हुआ, तो सभी को मौसम की चुनौती का अंदाज़ा था. ऐसे में रिजर्व टाइम का अपडेट उसी समय लागू करना ज्यादा व्यावहारिक और निष्पक्ष होता. अब जब ये नया नियम प्लेऑफ से कुछ दिन पहले लागू हुआ है, तो टीम को ऐसा लगना लाजमी है कि वे एक असमान फैसले के शिकार बने हैं.
क्या यह केवल KKR का मुद्दा है?
इस विवाद ने IPL में नियमों की स्पष्टता, पारदर्शिता और समय पर क्रियान्वयन पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. क्या किसी नियम को टूर्नामेंट के बीच में लागू करना उचित है? और अगर करना भी है, तो क्या उसका प्रभाव सभी टीमों पर समान रूप से नहीं होना चाहिए?
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