उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की छवि दुनिया में एक कठोर और निष्ठुर तानाशाह की रही है—वह नेता, जिसने अपनों को भी बख्शा नहीं और whose शासन में भय ही कानून बन गया. लेकिन हाल ही में एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने लोगों को चौंका दिया. रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए उत्तर कोरियाई सैनिकों की अंतिम विदाई के दौरान पहली बार किम जोंग उन सबके सामने रोते हुए दिखाई दिए.
रिपोर्टों के अनुसार, जैसे ही रूस से मारे गए उत्तर कोरियाई सैनिकों के पार्थिव शरीर स्वदेश लौटे, प्योंगयांग एयरपोर्ट पर उनका स्वागत पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया. इस श्रद्धांजलि समारोह में सबसे चौंकाने वाला क्षण तब आया जब किम खुद घुटनों के बल बैठ गए और शहीद सैनिकों की तस्वीरों पर अपने हाथों से मेडल लगाए. इस दौरान उनकी आंखों से आंसू बहते साफ नजर आए. कैमरों में कैद यह दृश्य दुनिया भर में तेजी से वायरल हो गया.
मासूम बच्ची का माथा चूमा, सबकी आंखें नम
कार्यक्रम के दौरान एक दिल को छू लेने वाला पल तब देखने को मिला, जब किम एक शहीद सैनिक की मासूम बच्ची के पास पहुंचे. उन्होंने बच्ची का सिर सहलाया, उसका माथा चूमा और उसे ढांढस बंधाया. यह दृश्य इतना भावुक था कि वहां मौजूद कई सैन्य अधिकारी और अन्य लोग खुद को रोने से नहीं रोक पाए.
जनरलों के साथ ताबूतों तक पहुंचे, सैन्य सैल्यूट दिया
वीडियो फुटेज में यह भी देखा गया कि किम अपने वरिष्ठ जनरलों का हाथ थामे एक-एक ताबूत के पास गए और उन्हें सैन्य सैल्यूट दिया. पूरे आयोजन को बड़े सम्मान और संवेदना के साथ संपन्न किया गया, जो उत्तर कोरिया जैसे बंद समाज के लिए असाधारण माना जा रहा है.
भावनाओं के पीछे छुपा राजनीतिक संदेश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भावुकता सिर्फ मानवता नहीं, बल्कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच मजबूत होते रिश्तों का भी संकेत है. रूस की ओर से यूक्रेन में जारी संघर्ष में उत्तर कोरियाई सैनिकों की भागीदारी अब तक एक रहस्य बनी हुई थी. लेकिन इस श्रद्धांजलि के ज़रिए उत्तर कोरिया ने न केवल अपने सैनिकों को सम्मान दिया, बल्कि रूस के साथ अपनी एकजुटता भी जताई.
जनता की राय बंटी हुई
किम जोंग उन का यह रूप उनके समर्थकों के लिए जहां एक ‘भावुक नेता’ की नई छवि लेकर आया, वहीं आलोचकों का कहना है कि यह एक सुनियोजित मंचन था—दुनिया को एक संवेदनशील चेहरा दिखाने की कोशिश. हालांकि इतना तो तय है कि जिस नेता ने कभी अपने नज़दीकी रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा, उसे दुनिया के सामने आंसू बहाते देखना अपने आप में एक असामान्य और ऐतिहासिक क्षण था.
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