ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर इन दिनों भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं और उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है. मुंबई में हुई उनकी मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कीर स्टार्मर के बीच कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई.
इस बैठक का केंद्रबिंदु रहा भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA), जिसे हाल ही में जुलाई में दोनों देशों ने साइन किया था. पीएम मोदी ने इसे “साझेदारी में नई ऊर्जा” बताते हुए कहा कि यह समझौता युवाओं के लिए रोजगार, उद्योगों के लिए अवसर और उपभोक्ताओं के लिए सस्ता आयात सुनिश्चित करेगा.
द्विपक्षीय सहयोग का नया अध्याय
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा यह दर्शाती है कि हमारे संबंधों में नई गति आई है. व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और व्यापक बनाया जाएगा. लोकतंत्र की साझा नींव पर खड़ा हमारा रिश्ता भविष्य में और मजबूत होगा. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच हुए व्यापार समझौते से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती मिलेगी और इससे युवाओं को नए अवसर भी मिलेंगे.
भारत के साथ साझेदारी, ब्रिटेन के लिए एक अवसर
प्रधानमंत्री बनने के बाद स्टार्मर की यह पहली भारत यात्रा है. उनके साथ ब्रिटेन के 125 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में टॉप बिजनेस लीडर्स, स्टार्टअप संस्थापक और यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर्स शामिल हैं. स्टार्मर ने कहा हमने जो समझौता किया है वह सिर्फ दस्तावेज नहीं है, बल्कि आर्थिक प्रगति का लॉन्चपैड है. भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है और उसके साथ व्यापार करना ब्रिटेन के लिए असाधारण अवसर है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत में होने वाला आर्थिक विकास ब्रिटेन में भी स्थिरता और नौकरियों को बढ़ावा देगा.
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट और CEO फोरम में भी लेंगे भाग
दोनों नेता इंडिया-यूके सीईओ फोरम और ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में भाग लेंगे, जहां वे प्रौद्योगिकी, फाइनेंस और इनोवेशन के क्षेत्र में नए आयाम तलाशेंगे. पीएम मोदी ने बताया कि इन कार्यक्रमों से भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग को गहराई मिलेगी और नये सुझाव सामने आएंगे, जो भविष्य की नीतियों को आकार देने में मदद करेंगे.
सहयोग के नए क्षेत्र – AI, टेलीकॉम और डिफेंस
ब्रिटेन सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस वार्ता से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), दूरसंचार और रक्षा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ेगा. दोनों देशों के बीच निवेश को बढ़ावा देने और तकनीकी क्षेत्र में साझेदारी के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है. उम्मीद है कि 2030 तक भारत का तकनीकी बाजार एक लाख करोड़ पाउंड तक पहुंच जाएगा, जिससे ब्रिटिश कंपनियों को भारत में निवेश और विस्तार के नए अवसर मिलेंगे.
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